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अवैध प्रवासियों पर ट्रम्प सरकार का बड़ा कदम, भारतीयों की घर वापसी का ट्रांजिट हब बना कोस्टा रिका

न्यू इंडिया अब्रॉड आपके लिए इस मुद्दे पर कोस्टा रिका से एक विशेष ग्राउंड रिपोर्ट लेकर आया है।

अवैध भारतीय प्रवासियों को अमेरिकी विमान में ले जाते हुए अधिकारी। / रॉयटर्स

अमेरिकी की डोनाल्ड ट्रम्प सरकार अवैध प्रवासियों को सख्त कदम उठा चुकी है। अब तक अवैध भारतीय प्रवासियों का तीसरा दल भारत जा चुका है। जिसमें कैदियों को हाथ में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियों जैसी क्रूरता की घटनाएं सामने आईं थी। भविष्य में अमेरिका से अवैध रूप से गए भारतीय नागरिकों को प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया में कोस्टा रिका का अस्थायी प्रवासी केंद्र CATEM एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। अमेरिका की नई नीति के तहत, अब कोस्टा रिका एक ट्रांजिट हब के रूप में काम करेगा, जहां से प्रत्यर्पित नागरिकों को भारत भेजने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

इस नीति के तहत पहला जत्था बुधवार, 19 फरवरी को CATEM में पहुंचेगा। यह केंद्र पनामा और कोस्टा रिका के बीच एक "मानवीय गलियारा" (ह्यूमेनिटेरियन कॉरिडोर) योजना के तहत स्थापित किया गया था, ताकि दोनों देशों के बीच भारी मात्रा में प्रवासियों के आवागमन को सुचारू रूप से प्रबंधित किया जा सके। CATEM के निदेशक ने इस संवाददाता से बात करते हुए पुष्टि की कि भारतीय प्रत्यर्पित नागरिक इस केंद्र में ठहराए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि CATEM उन्हें "खुश" रखने की कोशिश करेगा और उन्हें "घर जैसा माहौल" देने का प्रयास करेगा।

कोस्टा रिका इन प्रवासियों की पहचान और दस्तावेजों की पुनः पुष्टि करेगा और फिर उन्हें भारत वापस भेजने की व्यवस्था करेगा। यह केंद्र कोस्टा रिका के मुख्य राजमार्ग पर स्थित है, जो पनामा की सीमा से लगभग 11 किलोमीटर उत्तर में स्थित पासो कानोआस नामक मुख्य सीमा चौकी के पास है। विडंबना यह है कि जिन भारतीयों ने अवैध रूप से अमेरिका पहुंचने के लिए इसी मार्ग से कोस्टा रिका में प्रवेश किया था, अब उन्हें उसी रास्ते से भारत लौटना होगा।



कोस्टा रिका सीमा पर रिस्क

पनामा और कोस्टा रिका की सीमा खुली है और दोनों देशों के नागरिक बिना किसी रोक-टोक के एक-दूसरे के क्षेत्र में आ-जा सकते हैं। हालांकि, इन दोनों देशों की सरकारें इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अवैध प्रवासी इस खुले सीमा तंत्र का गलत फायदा उठाकर अमेरिका जाने की कोशिश करते हैं।

घर लौट रहे भारतीय

इन प्रत्यर्पित भारतीय नागरिकों के भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है, क्योंकि इनमें से कई लोगों ने अमेरिका पहुंचने के लिए अपनी पूरी जीवनभर की जमा पूंजी खर्च कर दी होगी और खतरनाक यात्रा के जोखिम उठाए होंगे, लेकिन अब उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है। साथ ही, अवैध ट्रैवल एजेंटों की भूमिका भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जो प्रवासियों को झूठी उम्मीदें देकर गुमराह करते हैं।

पनामा-कोस्टा रिका सीमा लंबे समय से अवैध प्रवासन का केंद्र रही है, क्योंकि इसकी खुली स्थिति इसे मानव तस्करों के लिए एक आसान मार्ग बनाती है। अधिकारियों का मानना है कि अब जब अमेरिका से होने वाली प्रत्यर्पण प्रक्रियाएं कोस्टा रिका से होकर गुजरेंगी, तो अन्य लैटिन अमेरिकी देश भी इसी तरह की रणनीति अपनाने पर विचार कर सकते हैं।

इस तरह की समन्वित कार्रवाइयों से अवैध प्रवासियों के लिए अमेरिका पहुंचने की राह और कठिन हो सकती है और यह भविष्य में ऐसे अवैध आव्रजन प्रयासों के खिलाफ एक प्रभावी निवारक उपाय साबित हो सकता है।

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