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इसरो को मिली अहम कामयाबी, पुष्पक यान का रनवे परीक्षण कामयाब

इसरो के मुताबिक, पुष्पक यान को भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाकर छोड़ दिया गया था। वहां से वह खुद नीचे आया और रनवे से 4 किमी की दूरी पर पहुंचने के बाद अपने आप रास्ते में सुधार करते हुए रनवे तक पहुंचा। यह रनवे पर बिल्कुल सटीक तरीके से उतरा।

पुष्पक आरएलवी की सटीक लैंडिंग अंतरिक्ष तकनीक में इसरो की महारत को दर्शाती है। / X @isro

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। उसने अपने पहले पुन: इस्तेमाल किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान (आरएलवी) के लैंडिंग मिशन को सटीकता के साथ अंजाम दिया। इस यान का नाम पुष्पक रखा गया है। 

कर्नाटक के चित्रदुर्ग के करीब चल्लाकेरे स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में इसका सफल परीक्षण किया गया। 



अंतरिक्ष संगठन इसरो की तरफ से एक्स पर जानकारी देते हुए कहा गया कि इसरो ने एक बार फिर कर दिखाया! पंखों वाला यान पुष्पक (आरएलवी-टीडी) ऑफ-नॉमिनल स्थिति से रिलीज किए जाने के के बाद रनवे पर सटीकता के साथ खुद ब खुद उतरने में कामयाब रहा। 

इसरो के मुताबिक, पुष्पक यान को भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाकर छोड़ दिया गया था। वहां से वह खुद नीचे आया और रनवे से 4 किमी की दूरी पर पहुंचने के बाद अपने आप रास्ते में सुधार करते हुए रनवे तक पहुंचा। यह रनवे पर बिल्कुल सटीक तरीके से उतरा। इस दौरान उसने ब्रेक पैराशूट, लैंडिंग गियर ब्रेक और नोज व्हील स्टीयरिंग सिस्टम का अच्छे से इस्तेमाल किया। 

पुष्पक आरएलवी एक अनोखा रॉकेट है जिसे बार बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे एक ही स्टेज में ऑर्बिट तक पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है। पुष्पक आरएलवी अंतरिक्ष अन्वेषण प्रौद्योगिकी में अत्याधुनिक तकनीक का प्रतीक है। इसे पिछले यानों से प्रेरणा लेकर उन्नत तकनीक के जरिए तैयार किया गया है। 

पुष्पक की यह तीसरी उड़ान है जो इसकी विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है। पिछले एक दशक में इस प्रोजेक्ट ने कई बदलाव देखे हैं। कई परीक्षणों के बाद रोबोट लैंडिंग क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से इसमें कई परिवर्तन किए गए हैं।

पिछले साल अप्रैल में पुष्पक के विकास में उस समय महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई थी, जब इसे भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से छोड़ने के बाद यह अपने आप उतरने में कामयाब हुआ था। इस कामयाबी से यह स्पष्ट हो गया था कि यह धरती की कक्षा में पुन: प्रवेश के लायक है।

इसका नाम पुष्पक रामायण काल के पौराणिक 'पुष्पक विमान' से प्रेरणा लेकर रखा गया है। यह इसरो के इनोवेशन का नया उदाहरण है। इस पंख वाले आरएलवी पुष्पक को अलग अलग तकनीकों के परीक्षण के लिहाज से तैयार किया गया है। इनमें हाइपरसोनिक उड़ान क्षमताएं, अपने आप लैंडिंग सिस्टम और क्रूज उड़ान क्षमता शामिल हैं।

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