एक सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि लंदन, न्यूयॉर्क और दुबई के आवासीय संपत्ति बाजारों में भारतीय निवेशकों ने अन्य देशों के निवेशकों को पीछे छोड़ दिया है। सर्वे के मुताबिक 24 से 40 वर्ष की आयु के बीच के भारत के निवेशक लंदन, न्यूयॉर्क और दुबई जैसे स्थानों में किराए पर आवासीय संपत्ति खरीदने में सक्रिय रूप से निवेश कर रहे हैं और वे अन्य देशों के विदेशी निवेशकों से आगे हैं।
वैश्विक ऑनलाइन आवासीय संपत्ति खोज मंच 'हाउसार्च' (Housearch) ने यह सर्वेक्षण किया। पिछले एक साल में जमा आंकड़ों के अनुसार यूएई में आवासीय अचल संपत्ति खरीदने में रुचि रखने वाले सर्वाधिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं की सूची में भारतीय शीर्ष पर हैं। भारतीय निवेशक सभी संभावित खरीदारों के लगभग दसवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रेस से साझा जानकारी के अनुसार निवेश के मामले में भारतीयों ने ग्रेट ब्रिटेन (7) प्रतिशत) और अमेरिका (5 प्रतिशत) को पीछे छोड़ दिया है।
सर्वे के मुताबिक इनमें से दो-तिहाई संभावित भारतीय खरीदार केवल धन संचय के इरादे से संपत्तियां तलाश करते हैं जबकि केवल 35 प्रतिशत लोग रहने के लिए घरों की खोज में हैं। ये खरीदार प्रमुख रूप से मुंबई, पुणे, नई दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद और चेन्नई जैसे महानगरीय शहरों में रहते हैं। इस समूह में मिलेनियल्स की संख्या 74 प्रतिशत है। समूह की रुचि मुख्य रूप से उन अपार्टमेंट्स में है जिनमें आधे से अधिक 1-2 बेड वाली संपत्तियां हों ताकि उन्हे किराये पर चढ़ाया जा सके।
हाउसार्च के ब्लॉग पोस्ट में बताया गया है कि लंदन स्थित एक रियल एस्टेट डेवलपर के अनुसार अनुमान है कि 2026 तक भारतीय घर खरीदार लंदन में आवासीय संपत्ति की खरीद का 15% हिस्सा ले सकते हैं। मई 2022 में यह बताया गया था कि भारत के मेट्रो शहरों ने महामारी से उपजी मंदी से उबरकर भारी वेतन वृद्धि दर्ज की है।
मुंबई में 18 प्रतिशत के साथ उच्चतम औसत वेतन वृद्धि दर्ज की गई और बेंगलुरु 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ उसके पीछे रहा। नई दिल्ली में 12 प्रतिशत वेतन वृद्धि देखी गई। भारत के वित्त मंत्रालय के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में भी भारी उछाल आने का अनुमान है। भारत 2030 तक 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रख सकता है और 2027 तक देश के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है जो दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।
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