बीते 15 अगस्त को भारत ने अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम के साथ मनाया। मुख्य और पारंपरिक समारोह नई दिल्ली में हुआ और साथ ही प्रतीक उत्सवों की धूमअमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों और दुनिया के उन राष्ट्रों में भी उत्साहजनक रूप से देखने को मिली जहां भारतीय मूल के लोग स्थाई रूप से जा बसे हैं या अपने कामकाज के सिलसिले में टिके हुए हैं। अमेरिका में तो सप्ताहभर से आयोजनों का सिलसिला जारी है। उत्सव की उमंग विशेष रूप से अमेरिका में होने वाली इंडिया डे परेड के रूप में आज भी देशभक्ति की छटा बिखेर रही है। जिस तरह का उत्साह भारत में इस राष्ट्रीय पर्व पर रहता है ठीक वैसी ही विराट राष्ट्रीय भावना उन देशों में भी नजर आई जहां भारतवंशियों की संख्या अच्छी खासी है। इस लिहाज से अमेरिका की धरा उल्लेखनीय है क्योंकि यहां पर भारतीयों की संख्या न केवल अच्छी खासी है बल्कि वे सामाजिक, आर्थिक और सियासी जगत में अधिक और असरदार हैं।
आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में भारतीयों की संख्या 48 से 50 लाख के बीच है। मोटे तौर पर यह तादाद अमेरिकी आबादी का डेढ़ फीसदी है। भारतवंशी अमेरिक का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय हैं इसीलिए भारत के तमाम बड़े त्योहार ही नहीं छोटे पर्वों की धूम यहां अच्छी खासी रहती है। फिर स्वतंत्रता दिवस तो भारत का राष्ट्रीय पर्व है इसलिए अमेरिका के राजनीतिक गलियारों से लेकर स्थानीय समाज-समुदाय में इसके गहरे रंग आसानी से देखे जा सकते हैं। बीते कुछ बरसों से अमेरिका के विभिन्न शहरों में भारतीय तीज-त्योहारों की उमंग न केवल गहरी हुई है उसने विस्तार भी पाया है क्योंकि पश्चिम के शक्तिशाली देश में अपने सपनों को साकार करने के लिए आने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दोनों देशों की राजनीतिक नजदीकियों ने सामाजिक कदमताल की रफ्तार को गति और आधार दिया है। अमेरिका में इस बार के आयोजन में भारत की फिल्मी दुनिया से लेकर राजनीतिक जगत के लोग भी पहुंचे। ऐसा पहले भी होता रहा है। बॉलीवुड के नायक-नायिकाएं तमाम बड़े आयोजनों का हिस्सा बनते रहे हैं। इसके अलावा सामाजिक और सरकारी संगठनों ने भी भारत की स्वतंत्रता का जश्न पारंपरिक अंदाज में हर्षोल्लास के साथ मनाया।
इंडिया डे परेड का जिक्र इसलिए लाजमी लगता है क्योंकि यह कार्यक्रम मनाया तो भारतीय समूह-संगठनों की ओर से है लेकिन इसे लेकर अन्य समुदायों की भी क्रिया-प्रतिक्रिया राजनीतिक गलियारों में आयोजनों के पहले से ही चर्चा का विषय रहती है। अमेरिका की इंडिया डे परेड में इस बार अयोध्या का राममंदिर न केवल आकर्षण का केंद्र रहा बल्कि अन्य जातीय समुदायों की नकारात्मक टिप्पणियों से समाचारों में रहा। हालांकि इस तरह की प्रतिक्रियाओं का आयोजनों पर तो कोई असर नहीं रहा लेकिन आंशिक विमर्श का सबब अवश्य बना। अमेरिका के सत्ता प्रतिष्ठान ने एक बार फिर दोनों देशों के निकट होते संबंधों का संदेश दिया और राष्ट्रीयता के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था का वचन दोहराया। राष्ट्रीय पर्व के उत्सव में भारतीय और भारतीय-अमेरिकी समुदाय का उत्साह सांस्कृतिक समावेश की गहरी भावना का भी परिचायक रहा।
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