भारत सरकार ने हिंसा प्रभावित बांग्लादेश से अपने स्टूडेंट्स को सुरक्षित वापस लाने के लिए अभियान शुरू किया है। इसके तहत शनिवार तक करीब एक हजार छात्रों को वापस लाया जा चुका है। बाकी चार हजार स्टूडेंट्स की भी घर वापसी की तैयारी चल रही है।
गौरतलब है कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्र सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने हालात पर काबू पाने के लिए सेना तैनात कर दी है और देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया है। एएफपी के अनुसार इस हफ्ते कम से कम 115 लोगों की मौत हो चुकी है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार ने बांग्लादेश में रहने वाले अपने नागरिकों को घर में ही रहने और सतर्कता बरतने की सलाह जारी की है। शनिवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि बांग्लादेश से 778 भारतीय छात्रों को बंदरगाह के जरिए सुरक्षित वापस लाया गया है।
मंत्रालय के मुताबिक, करीब 200 छात्र ढाका और चितगोंग एयरपोर्ट के जरिए अपने आप भारत लौट चुके हैं। इस तरह अब तक कुल 998 लोगों की भारत वापसी हुई है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग के अलावा चटगांव, राजशाही, सिलहट व खुलना स्थित सहायक उच्चायोग बांग्लादेश से भारतीयों की वापसी में मदद कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायोग और हमारे सहायक उच्चायोग बांग्लादेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे 4,000 से अधिक छात्रों के नियमित संपर्क में हैं और आवश्यक सहायता प्रदान कर रहे हैं।
मंत्रालय के अनुसार, भारतीय उच्चायोग, सहायक उच्चायोग बांग्लादेश के स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सहयोग से छात्रों को सुरक्षित तरीके से सीमा तक लाने में जुटे हैं। विदेश मंत्रालय नागरिक उड्डयन, इमिग्रेशन, लैंड पोर्ट्स और बीएसएफ के साथ तालमेल बनाकर नागरिकों की सुरक्षित वापसी में सहयोग कर रहा है।
बता दें कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सैनानियों के परिजनों के लिए 30 फीसदी आरक्षण बहाल करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद छात्र सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। 2018 में कोटा प्रणाली को खत्म कर दिया गया था, लेकिन पिछले महीने हाईकोर्ट द्वारा इसे बहाल किए जाने के बाद बेरोजगार युवाओं में व्यापक असंतोष फैल गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, लेकिन छात्र संतुष्ट नहीं हैं।
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