भारतीय महिलाएं अब हर मोर्चे पर पुरुषों की बराबरी कर रही हैं। कुछ महिलाएं तो दुनियाभर में भारत का नाम रोशन कर रही हैं। आज हम बताने जा रहे ऐसी भारतीय अमेरिकी महिला के बारे में जो अपने ज्ञान की बदौलत इकोनॉमी की दुनिया में एक मुकाम हासिल किया है। भारत की इकोनॉमिस्ट गीता बत्रा को हाल ही में विश्व बैंक की वैश्विक पर्यावरण सुविधा (JEF) के इंडिपेंडेंट इवेल्यूएशन ऑफिस में नए डायरेक्टर के रूप में नॉमिनेट किया गया है। वह विकासशील देश की पहली ऐसी हैं जिन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है।
57 साल की भारतीय मूल की गीता बत्रा वर्तमान में जीईएफ के इंडिपेंडेंट इवेल्यूएशन ऑफिस (IEO) में डिप्टी डायरेक्टर हैं। 9 फरवरी को वाशिंगटन में आयोजित 66वीं जीईएफ काउंसिल की मीटिंग में इस पद के लिए उनके नाम की सर्वसम्मति से सिफारिश की गई थी।
गीता का जन्म भारत की राजधानी नई दिल्ली में हुआ है। उन्होंने मुंबई के विला थेरेसा हाई स्कूल (1984) में पढ़ाई की। इसके बाद चेन्नई (1984-1987) के स्टेला मैरिस कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी की। फिर मुंबई में एनएमआईएमएस, विले पार्ले (1990) से फाइनेंस में एमबीए किया। एमबीए पूरी करने के बाद अगस्त 1990 में पीएचडी करने के लिए अमेरिका आ गईं।
1998 में वर्ल्ड बैंक के प्राइवेट सेक्टर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में शामिल होने से पहले उन्होंने अमेरिकन एक्सप्रेस में सीनियर मैनेजर के तौर पर कुछ सालों तक काम किया। 2005 तक वहां काम करते हुए, उन्होंने पूर्वी एशिया और लैटिन अमेरिका में कुछ प्रोजेक्ट्स पर भी काम किए किए।
इसके बाद, उन्होंने विश्व बैंक के IEG में प्रमुख और मुख्य मूल्यांकनकर्ता के रूप में पदभार संभाला।2015 में, बत्रा जीईएफ के आईईओ में शामिल हो गईं जहां वह इवैल्यूएशन प्रोफेशनल्स की टीम को मैनेज करतीं, जो मूल्यांकन के डिजाइन, कार्यान्वयन और क्वालिटी पर निगरानी करती है।
नए पद मिलने को लेककर बत्रा का कहना है कि मेरी शीर्ष प्राथमिकता जीईएफ के परिणामों और प्रदर्शन पर ठोस मूल्यांकन साक्ष्य प्रदान करना है। यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना है कि जीईएफ आईईओ पर्यावरण मूल्यांकन में सबसे आगे रहे और आईईओ टीमों को मजबूत करें और कौशल में निवेश करें। वह बहुपक्षीय और द्विपक्षीय एजेंसियों, नेटवर्क के साथ साझेदारी भी बनाएंगी।
गीता अपने पति प्रकाश और बेटी रोशनी के साथ उत्तरी वर्जीनिया में रहती हैं। छुट्टियों में उन्हें बाहर घूमना बहुत पसंद है। वह ऐतिहासिक आत्मकथाएं पढ़ती हैं, इसके अलावा अलग-अलग तरह के लजीज खाने की चीजें भी बनाती हैं। उन्होंने कहा कि पाव-भाजी, पानी-पूरी-पूरी और छोले-भटूरे काफी पसंद हैं।
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