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स्पाइन रिसर्च में विश्व स्तरीय उपलब्धि के लिए भारतीय डॉक्टरों की टीम को ISSLS अवॉर्ड 

दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने स्पाइन रिसर्च में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। उनकी स्टडी को बेस्ट इंटरनेशनल स्पाइन रिसर्च 2025 का प्रतिष्ठित ISSLS अवॉर्ड मिला है। ये स्पाइन रिसर्च के क्षेत्र में सबसे बड़ा सम्मान है। इस रिसर्च से स्पाइनल डिजेनरेशन के शुरुआती पता लगाने में मदद मिलेगी।

इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ लंबर स्पाइन (ISSLS) ने 2025 का बेस्ट स्पाइन रिसर्च अवॉर्ड गंगाराम अस्पताल की टीम को दिया। / SPL

भारत में दिल्ली स्थित गंगाराम अस्पताल के स्पाइन सर्जन्स और रेडियोलॉजिस्ट्स की रिसर्च टीम ने बेस्ट इंटरनेशनल स्पाइन रिसर्च 2025 के लिए ISSLS अवॉर्ड जीत लिया है। यह पुरस्कार स्पाइन रिसर्च में सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है। गंगाराम अस्पताल की इस रिसर्च स्टडी को दुनियाभर से आई ढेर सारी रिसर्च में से चुना गया है। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ लंबर स्पाइन (ISSLS) ने ये अवॉर्ड दिया है। स्वीडन के गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हेलेना ब्रिस्बी की अध्यक्षता वाली एक इंटरनेशनल कमिटी ने इस स्टडी को चुना। इस सम्मान को हासिल करने के लिए दुनियाभर के साइंटिस्ट्स प्रतियोगिता में शामिल होते हैं। 

इस अवॉर्ड के साथ 20,000 डॉलर की इनामी राशि भी है। इसके अलावा यह रिसर्च स्टडी यूरोपियन स्पाइन जर्नल में मुख्य साइंटिफिक आर्टिकल के तौर पर छपेगा। इसके साथ ही इस रिसर्च को अटलांटा (USA) में 12 से 16 मई 2025 तक होने वाली ISSLS की सालाना मीटिंग में प्लेनरी सेशन में पेश किया जाएगा। इस मीटिंग में दुनियाभर के 2500 से अधिक स्पाइन सर्जन्स और रिसर्चर्स शामिल होंगे।

ये शानदार रिसर्च डॉ. राजशेखरन, डॉ. पी.बी. थिप्पेस्वामी, डॉ. ज्ञानप्रकाश गुरुसामी, डॉ. कार्तिक रामचंद्रन, डॉ. टी.ए. यिरदाव, डॉ. एस. बसु, डॉ. जे.एस. कामोडिया, डॉ. ए.एम. अब्देलवाहेद, डॉ. एस.वी. आनंद, डॉ. अजय प्रसाद शेट्टी और डॉ. रिषि कन्ना ने मिलकर की है।

इनकी रिसर्च में कार्टिलेज एंड प्लेट के नुकसान की स्थिति और गंभीरता का पता लगाने के लिए FLASH सीक्वेंस का इस्तेमाल किया गया। टीम ने कार्टिलेज और बोन एंड प्लेट्स में शुरुआती बदलावों का पता लगाने के लिए एक इंटीग्रेटेड टोटल एंड प्लेट स्कोर भी डेवलप किया है। 

रिसर्च में एक बहुत बड़ी बात ये पता चली कि कार्टिलेज एंड प्लेट में खराबी, हड्डी के एंड प्लेट में बदलाव या MRI स्कैन पर दिखने वाले डैमेज से बहुत पहले ही शुरू हो जाती है। ये खोज MRI में नॉर्मल दिखने वाली डिस्क में भी मॉलिक्यूलर लेवल पर होने वाले डिजेनरेशन का पता लगाती है। रिसर्चर्स का कहना है कि इस स्टडी से स्पाइनल डिजेनरेशन के बारे में जल्दी पता करने की संभावना दिखती है। 

गंगाराम अस्पताल की स्पाइन यूनिट ने कोयम्बटूर को स्पाइन रिसर्च के विश्व मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर दिया है। इससे पहले भी इस यूनिट ने पांच बार 2004, 2010, 2013, 2017 और 2022 में ISSLS अवॉर्ड जीता है । इस रिसर्च टीम ने लगातार चार साल (2019-2022) तक नॉर्थ अमेरिकन स्पाइन सोसाइटी का आउटस्टैंडिंग रिसर्च अवॉर्ड जीतकर एक रेकॉर्ड भी बनाया है। ये उपलब्धि इस क्षेत्र में बेजोड़ है। इसके अलावा, उन्हें कई बार एशिया पैसिफिक स्पाइन रिसर्च अवॉर्ड, यूरोपियन स्पाइन आउटस्टैंडिंग रिसर्च अवॉर्ड और ब्रिटिश स्पाइन अवॉर्ड भी मिला है।

टीम को कई राष्ट्रीय सम्मान भी मिले हैं, जिसमें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया का सम्मान भी शामिल है। इससे स्पाइन रिसर्च में उनकी अग्रणी भूमिका और मजबूत होती है।

 

 

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