दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के लिए 2024 इसलिए भी अहम है क्योंकि यह चुनावी वर्ष है। सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में इन दिनों चुनाव प्रक्रिया चल रही है। दुनिया के दूसरे महान लोकतंत्र यानी अमेरिका में चुनावी माहौल है और यहां नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होना है। भारत में लोकतंत्र का उत्सव यानी चुनाव प्रक्रिया अंतिम दौर में है। इस बीच अमेरिका ने भारत के लोकतंत्र, चुनाव प्रक्रिया और इस प्रक्रिया में भाग लेने वाले नागरिकों और उनके दायित्वबोध की खुलकर प्रशंसा की है। अमेरिका ने भारतीय लोकतंत्र को अद्वितीय बताया है।
पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने कहा कि दुनिया में भारत से अधिक जीवंत लोकतंत्र और कहीं नहीं है। किर्बी ने भारत के मतदाओं की इसलिए तारीफ की क्योंकि वे विश्व की सबसे बड़ी चुनाव प्रक्रिया में उत्साह के साथ भागीदारी करते हैं और जो सरकार बनती है उसकी आवाज होते हैं। किर्बी के बाद भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी एक पहली बार के साक्षी के तौर पर भारत की चुनाव प्रक्रिया को असाधारण कहा है। गार्सेटी के दिल से निकला- सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव होते देखने का अहसास असाधारण है। बेशक, गार्सेटी को यह अहसास भारत में रहते ही हो सकता था।
ऐसा नहीं है कि केवल अमेरिका ही भारत, भारत के लोकतंत्र और नेतृत्व की तारीफ कर रहा है। रूस, इटली और ऑस्ट्रेलिया भी जब-तब भारत के सत्ता प्रतिष्ठान का खुलेआम गुणगान कर चुके हैं। बीते कुछ वर्षों में विश्व मंचों पर भारत के बढ़ते प्रभाव को साफ तौर पर देखा गया है। आर्थिक मोर्चे पर भारत जिस गति से आगे बढ़ रहा है उसे लेकर अतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश से लेकर विश्व बैंक भी सकारात्मक हैं। भारत के बढ़ते असर, वैश्विक संबंधों की मजबूती और शक्ति को अब तो पाकिस्तानी नेता और हुक्मरान भी खुलकर स्वीकार करने लगे हैं। पिछले साल सितंबर में नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी ने भारत की छवि में निखार किया है। संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंच पर भारत अब दूसरे देशों (फिलिस्तीन) के अधिकार की बात भी खुलकर कह रहा है। कुल मिलाकर भारत के रुख और प्रभाव को दुनिया के ताकतवर देश मान रहे हैं। इस बदलाव में बीते 10 साल अहम माने जा रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने 'इंडिया की मार्केटिंग' अलग और अपने तरीके से की है।
जहां तक भारत के चुनाव और उस प्रक्रिया की तारीफ की बात है तो इस बार भारतीय चुनाव और प्रचार के रंग अमेरिका में भी गहराई से देखने को मिले हैं। भारत में मतदान की प्रक्रिया शुरू होने से महीनों पहले अमेरिका में भी सत्ताधारी पार्टी भाजपा के समर्थन में कार रैलियां और सभाएं होना शुरू हो गई थीं। हिंदू समुदाय और संगठन भी खासे सक्रिय थे। अमेरिका के बाद यूके में भी भारत के चुनावी रंगों की झलक सार्वजनिक आयोजनों में दिखी। अलबत्ता अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक भारत के चुनाव की गूंज केवल सत्ताधारी पार्टी के समर्थन में ही सुनाई दी। देश पर करीब 60 साल राज करने वाली कांग्रेस पार्टी को लेकर ऐसा कोई उल्लेखनीय आयोजन अगर कहीं हुआ भी होगा तो वह मीडिया में प्रमुखता से जगह नहीं पा सका।
बहरहाल, भारत में चुनावी उत्सव अब आखिरी दौर में है। सात चरणों की मतदान प्रक्रिया के छह चरण पूरे हो चुके हैं। अंतिम मतदान 1 जून को है और 4 को मतगणना। भारत के करीब 97 करोड़ मतदाताओं ने अपने 543 संसद प्रतिनिधि चुनने के लिए करीब डेढ़ महीने 'मशक्कत' की है। नतीजों के बाद भारत में फिर सरकार बनेगी और इसके बाद नजर होगी अमेरिकी चुनाव पर।
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