शफोली कपूर जब 2009 में कनाडा आई थीं, तब उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन वह ओंटारियो की प्रांतीय असेंबली का चुनाव लड़ेंगी। अब शफोली ओंटारियो के चुनाव मैदान में लिबरल पार्टी की उम्मीदवार बनकर उतर आई हैं।
143 साल के बाद फरवरी के महीने में हो रहे इन प्रांतीय चुनावों की घोषणा कंज़रवेटिव प्रीमियर डग फोर्ड ने 28 जनवरी को की थी। 31 दिनों के चुनाव अभियान के बाद 27 फरवरी को मतदान हो रहा है। यह मध्यावधि चुनाव समय से एक साल पहले हो रहे हैं जबकि फोर्ड के पास जून 2026 तक का समय था।
कड़ाके की ठंड और रिकॉर्डतोड़ बर्फबारी ने हालांकि चुनाव प्रचार को चुनौतीपूर्ण बना दिया था। ओंटारियो और खासकर ग्रेटर टोरंटो इलाके में पिछले हफ्ते आए बर्फीले तूफान ने उम्मीदवारों के सामने कई मुश्किलें खड़ी कीं। इसके बावजूद उनके चुनावी जोश में कोई कमी नहीं है।
इस चुनाव में चार प्रमुख राजनीतिक दल – कंज़रवेटिव, न्यू डेमोक्रेट्स, लिबरल्स और ग्रीन्स के बीच कड़ा मुकाबला है। वहीं न्यू ब्लू पार्टी जैसे नए दल भी चुनाव मैदान में हैं। भारतीय मूल के लगभग तीन दर्जन उम्मीदवार भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें कई युवा इंडो-कैनेडियन भी हैं।
चुनाव में लिबरल पार्टी की उम्मीदवार शफोली कपूर एक कारोबारी और मान्यता प्राप्त इमिग्रेशन एडवाइजर हैं। बीते 12 साल में उन्होंने अपने बिजनेस को शून्य से शिखर तक पहुंचाया है। शफोली अप्रवासियों की समस्याओं को गहराई से समझती हैं और उनके आर्थिक सशक्तिकरण की पुरजोर पैरोकारी करती हैं। वह पेरेंट इन्वॉल्वमेंट एडवाइजरी कमेटी की सदस्य भी रही हैं।
उनके अलावा ब्रैम्पटन से रंजीत सिंह बग्गा, विक्की ढिल्लों, गुरविंदर दोसांझ, एनडीपी के मार्टिन सिंह और सुखमृत सिंह जैसे भारतीय मूल के अन्य उम्मीदवार भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। यह चुनाव केवल राजनीतिक दलों का मुकाबला नहीं है बल्कि नई पीढ़ी के अप्रवासियों और उनके प्रतिनिधित्व का प्रतीक भी है।
मतदान में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय मूल के ये उम्मीदवार ओंटारियो की राजनीतिक तस्वीर को किस तरह नया आयाम देते हैं।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login