अमेरिका में रह रहे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य खासतौर से दूसरी पीढ़ी के लोग अब पहले से ज्यादा संख्या में पब्लिक सेक्टर में आना चाहते हैं और राजनीति में शामिल होना चाहते हैं। ये कहना है न्यूजर्सी शहर में होबोकेन के भारतीय मूल के मेयर रवि भल्ला का।
न्यूजर्सी से कांग्रेस की रेस में शामिल रवि भल्ला ने न्यू इंडिया अब्रॉड से विशेष बातचीत में कहा कि हम एक नए दौर में जा रहे हैं, जहां दूसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी पब्लिक सेक्टर में शामिल होने और समुदाय को व्यापक रूप से देखने की अहमियत समझ रहे हैं। वे न केवल भारतीय समुदाय बल्कि पूरे अमेरिकी समुदाय के साथ संपर्क बढ़ाना चाहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि खास बात ये कि भारतीय अमेरिकी ये काम इस तरह से करना चाहते हैं कि हम अपनी विरासत और भारतीय जड़ों पर गर्व कर सके, साथ ही अमेरिकी होने के नाते समाज में योगदान भी दे सकें। ये काम पब्लिक सेक्टर में शामिल होकर और राजनीति में उतरकर किया जा सकता है। इसी वजह से भारतीय मूल के लोगों का रुझान अमेरिकी राजनीति की तरफ बढ़ रहा है।
होबोकेन के पहले सिख मेयर रवि भल्ला का आगामी डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में मुकाबला मौजूदा जिला प्रतिनिधि रॉबर्ट मेनेंडेज़ जूनियर से होना है। अगर रवि भल्ला चुनाव जीतने में कामयाब होते हैं तो वह नया इतिहास रच देंगे। वह दलीप सिंह सौद के बाद अमेरिकी कांग्रेस तक पहुंचने वाले दूसरे सिख अमेरिकी बन जाएंगे। सौद 1956 में कैलिफोर्निया से कांग्रेस के लिए चुने गए थे। सौद कांग्रेस में पहुंचने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी थे।
रवि भल्ला ने कहा कि मेरी ऐतिहासिक जीत से भारतीय अमेरिकियों की राजनीति में दिलचस्पी बढ़ेगी। युवा दक्षिण एशियाई लोगों, भारतीय अमेरिकियों और सिख अमेरिकियों को उम्मीद, प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलेगा। उन्हें लगेगा कि अगर मैं यह कर सकता हूं तो वे भी अमेरिकी लाइफ को अपना सकते हैं और इस बात पर भी गर्व कर सकते हैं कि वे कौन हैं और कहां से आए हैं।
रवि भल्ला ने इस हालिया बहस पर भी अपनी बात रखी कि क्या अमेरिका सहित पश्चिमी देशों को बाकी देशों की मानवाधिकार नीतियों में दखल देना चाहिए या नहीं। भल्ला का कहना था कि भारत ही नहीं, अमेरिका और अन्य देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर चिंता होती है। ऐसा अमेरिका के लिए मेरे प्यार के कारण है, भारत के लिए प्यार की वजह से है। मैं चाहता हूं कि हाशिये पर पड़े लोगों को उबारा जाए, उनके मानवाधिकारों की रक्षा की जाए, चाहे वह भारत हो, अमेरिका हो या फिर कोई भी अन्य देश हो। समान अधिकार सभी नागरिकों का हक है।
न्यूजर्सी में पैदा हुए और यहीं पले-बढ़े भारतीय-अमेरिकी भल्ला ने कहा कि अमेरिका की तरफ से इस बात को लेकर भारत की आलोचना का मतलब विरोध करना नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर हम असहमति जताते हैं, भारत सरकार या अमेरिकी सरकार की उनके मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर आलोचना करते हैं तो ऐसा भारत के विरोध की वजह से नहीं करते बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि हम इन देशों में लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती देखना चाहते हैं।
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