भारतीय-अमेरिकी उद्यमी सज्जन अग्रवाल भारत में ऋषिहुड यूनिवर्सिटी के बोर्ड में संस्थापक के रूप में शामिल हो गए हैं। उत्तरी कैरोलिना के रैले में रहने वाले सज्जन अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका चले आये थे।
वर्तमान में श्री अग्रवाल ग्रीनहॉक कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष और सीईओ के रूप में कार्यरत हैं। इसका मुख्यालय रैले में है। वह कई परोपकारी बोर्डों में शामिल हैं। इनमें ड्यूक हॉस्पिटल रैले, एकल यूएसए, वाईएमसीए और हिंदू सोसाइटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना शामिल हैं। आशा और सज्जन अग्रवाल फाउंडेशन शिक्षा, भूख उन्मूलन, बेघरता की रोकथाम के साथ ही दृश्य और प्रदर्शन कला को बढ़ावा के लिए सक्रिय है।
एक अनुभवी उद्यमी और परोपकारी सज्जन अग्रवाल ने 1981 में सिग्मा इलेक्ट्रिक कॉर्पोरेशन की स्थापना की जो अपतटीय विनिर्माण (ऑफशोर मैन्यूफैक्चरिंग) और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में विशेषज्ञता रखता है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व के तहत सिग्मा इलेक्ट्रिक ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों में परिचालन के साथ विश्व स्तर पर प्रमुख निगमों को हजारों विद्युत घटकों की आपूर्ति के साथ विस्तार किया। 2007 में उन्होंने यह व्यवसाय गोल्डमैन साश को बेच दिया।
सज्जन अग्रवाल ने भारत के मेसरा, रांची में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की और बाद में मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से वित्त में एमबीए की उपाधि प्राप्त की।
ऋषिहुड यूनिवर्सिटी सामूहिक परोपकार के माध्यम से स्थापित एक प्रभाव-केंद्रित संस्थान है। भारत के पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु इसके संस्थापक-चांसलर के रूप में कार्यरत हैं और अरबपति मोतीलाल ओसवाल भी इसके संस्थापकों में से हैं। बोस्टन स्थित उद्यमी और निवेशक डॉ. सुरेश जैन भी ऋषिहुड के शुरुआती संस्थापकों में से एक हैं।
नये दायित्व को लेकर सज्जन अग्रवाल ने कहा कि भारत की यात्रा और अन्य देशों, विशेषकर अमेरिका के साथ उसके बढ़ते संबंधों के लिहाज से यह सही समय है। मैं भारत के सभ्यतागत लोकाचार और इसकी 21वीं सदी की क्षमता से प्रेरित होने के ऋषिहुड दर्शन से प्रेरित हूं। मुझे लगता है कि प्रभाव को अधिकतम करने के लिए हमें ऐसी और पहलों की जरूरत है।
विश्वविद्यालय के चांसलर और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि सज्जन अग्रवाल को संस्थापक के रूप में शामिल करने से ऋषिहुड विश्वविद्यालय का शिक्षा के माध्यम से प्रभाव पैदा करने का मिशन और मजबूत हो गया है। सज्जन की भागीदारी से विश्वविद्यालय की वैश्विक पहुंच का विस्तार होगा, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका में।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login