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भारतीय-अमेरिकी रेशमा सौजानी शुरू करेंगी नया पॉडकास्ट, मिडिल ऐज महिलाओं पर होगा फोकस

इस पॉडकास्ट का नाम 'माई सो-कॉल्ड मिडलाइफ' होगा, जो 16 अक्टूबर से शुरू होगा। इसमें 30, 40 और 50 के दशक से गुजर रहीं महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर प्रमुख हस्तियों से चर्चा की जाएगी।

रेशमा एक वकील, राजनीतिज्ञ और अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संस्था गर्ल्स हू कोड और मॉम्स फर्स्ट मूवमेंट की संस्थापक हैं।  / X @reshmasaujani

भारतीय मूल की अमेरिकी रेशमा सौजानी मिडिल ऐज महिलाओं से जुड़ी वास्तविकताओं पर एक नया पॉडकास्ट लॉन्च करने जा रही हैं। रेशमा एक वकील, राजनीतिज्ञ और अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संस्था गर्ल्स हू कोड और मॉम्स फर्स्ट मूवमेंट की संस्थापक हैं। 
 
इस पॉडकास्ट का नाम 'माई सो-कॉल्ड मिडलाइफ' होगा, जो 16 अक्टूबर से शुरू होगा। इसे लेमोनाडा मीडिया के सहयोग से तैयार किया गया है। इसमें 30, 40 और 50 के दशक से गुजर रहीं महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर मंथन किया जाएगा।

मैरी क्यूरी की रिपोर्ट के मुताबिक, पॉडकास्ट में एक्ट्रेस जूलिया लुइस ड्रेफस और इकनॉमिस्ट एमिली ओस्टर सहित प्रभावशाली महिलाओं से सीधी बातचीत होगी। आगे आने वाले एपिसोड्स में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस केतनजी ब्राउन जैक्सन और लेखक चेरिल स्ट्रैड से भी चर्चा होगी।

रेशमा ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा कि ये एक ऐसा स्पेस होगा, जहां महिलाएं अपनी मिड लाइफ के महत्वपूर्ण पहलुओं पर खुलकर चर्चा कर सकेंगी। माई सो-कॉल्ड मिडलाइफ़ उस सवाल की पड़ताल करेगा, जो मैं खुद से रोजाना पूछती हूं। हमने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन फिर भी हम अभी भी जानने की कोशिश कर रही हैं कि हमारा बाकी जीवन कैसा होगा। 

पॉडकास्ट का ट्रेलर जारी हो चुका है। इससे जाहिर है कि यह सामाजिक दबावों, खुद को फिर से खड़ा करने और कैरियर आदि पर चर्चाओं से संबंधित होगा। रेशमा का उद्देश्य इस पॉडकास्ट के जरिए सशक्तिकरण की भावना प्रदान करना है। रेशमा को उम्मीद है कि वह ऐसा मंच प्रदान कर पाएंगी जहां महिलाएं मिड लाइफ की चुनौतियों का सामना कर सकें और असल में जीवन जीने के नए तरीके खोज सकें। 

रेशमा के बारे में बताएं तो 2010 में कांग्रेस का चुनाव लड़ने वाली वह पहली भारतीय-अमेरिकी महिला बनी थीं। वह लंबे समय से लैंगिक समानता की पैरोकारी करती रही हैं। उन्होंने 2012 में गर्ल्स हू कोड की स्थापना की थी। इसके जरिए वह कंप्यूटर साइंस में लैंगिक भेदभाव खत्म करने के लिए काम करती है। उनकी दूसरी संस्था मॉम्स फर्स्ट महिलाओं को पेड लीव, चाइल्डकेअर और समान वेतन की वकालत करती है।
 

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