आईबीएम ने भारतीय-अमेरिकी शोधकर्ता कुश वार्ष्णेय को आईबीएम फेलो (2024) नामित किया है। यह कंपनी का सबसे प्रतिष्ठित तकनीकी सम्मान है। एआई गवर्नेंस के लिए आईबीएम फेलो के रूप में कुश नुकसान को कम करने और बड़े भाषा मॉडल को सुरक्षित रूप से नियंत्रित करने के साथ-साथ वाट्सऑनएक्स प्लेटफॉर्म और अन्य एआई-इन्फ्यूज्ड उत्पादों में उनके समावेश के लिए नए दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
अपनी नियुक्ति को लेकर आईबीएम शोधकर्ता कुश ने लिंक्डइन पोस्ट में लिखा कि पेशेवर नजरिये से यह एक बहुत बड़ी बात है। यह देखते हुए कि 61 साल पहले कार्यक्रम शुरू होने के बाद से अब तक केवल 335 आईबीएम फेलो नामित किये गये हैं। इस पर विश्वास करना कठिन है। मैं अपने मूल्यों पर कायम रहकर, कर्तव्यनिष्ठ और प्रयासशील दृष्टिकोण अपनाकर और अपनी जड़ों का सम्मान करके यहां पहुंचा हूं।
वार्ष्णेय ने 2016 में आईबीएम में साइंस फॉर सोशल गुड पहल की सह-स्थापना की थी। यह गरीबी, असमानता, स्वास्थ्य और भूख जैसे मुद्दों से निपटने के लिए सामाजिक उद्यमों के सहयोग से डेटा विज्ञान का उपयोग करता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने सुरक्षित, भरोसेमंद और सामाजिक रूप से जिम्मेदार एआई और मशीन लर्निंग विषय पर अभूतपूर्व लेख और पहली पुस्तक लिखी है।
कुश बताते हैं कि मेरी शुरुआती आईबीएम परियोजनाएं मानव पूंजी प्रबंधन और स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित थीं। वे खुलासा कर रही थीं क्योंकि यह स्पष्ट हो गया था कि सटीक भविष्यवाणियां पर्याप्त नहीं हैं। इन प्रणालियों का लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है इसलिए निष्पक्षता पर विचार होना चाहिए और हमारे मॉडल को समझने योग्य होना चाहिए। यह न केवल सामाजिक उद्यमों के लिए बल्कि आईबीएम के सभी ग्राहकों के लिए भी जरूरी है क्योंकि हम ऐसे मॉडल विकसित करते हैं जिन पर हर कोई भरोसा कर सकता है।
वार्ष्णेय ने इसी क्रम में ओपन-सोर्स एआई फेयरनेस360, एआई एक्सप्लेनेबिलिटी360 और अनसर्टेन्टी क्वांटिफिकेशन 360 टूलकिट के निर्माण का नेतृत्व किया है।
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