सैन जोस स्थित एक प्रौद्योगिकी कर्मचारी फर्म के भारतीय मूल के अमेरिकी ओनर को वीजा धोखाधड़ी और वीजा धोखाधड़ी की साजिश रचने का दोषी पाया गया है। 55 साल के किशोर दत्तापुरम ने स्वीकार किया है कि उन्होंने अपनी कंपनी नैनोजमैंटिक्स (Nanosemantics Inc) के लिए फर्जी H-1B वीजा आवेदन दिए थे। उनके साथ ऑस्टिन, टेक्सास के 55 साल के कुमार अस्वपति और सैन जोस के 48 साल के संतोष गिरि भी इस मामले में शामिल थे।
दत्तापुरम और अस्वपति की कंपनी, नैनोजमैंटिक्स बे एरिया में टेक्नोलॉजी कंपनियों को विदेशी हुनरमंद कर्मचारियों की सप्लाई करती थी। इस काम को आसान बनाने के लिए ये फर्म नियमित रूप से H-1B पिटीशन भेजती थी। इससे विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में काम करने की अस्थायी इजाजत मिलती थी। लेकिन कोर्ट के दस्तावेजों के अनुसार, दोषियों ने ये दावा किया था कि विदेशी कर्मचारियों के लिए ग्राहक कंपनियों में खास नौकरियां मौजूद हैं, जबकि हकीकत में ऐसी नौकरियां थी ही नहीं।
दत्तापुरम ने कोर्ट में माना कि उन्होंने कंपनियों को वीजा आवेदनों के लिए ग्राहक कंपनी के तौर पर काम करने के लिए पैसे दिए थे, जबकि उन्हें पता था कि ये कंपनियां असल में उन कर्मचारियों को काम पर नहीं रखेंगी। इस कदम से नैनोजमैंटिक्स को नौकरियां मिलने से पहले ही वीजा हासिल करने में मदद मिली। इससे कंपनी को अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले फायदा हुआ। दत्तापुरम ने माना कि उनका मकसद यह था कि जब नौकरी के मौके आएं तो वीजा वाले कर्मचारी तुरंत काम करने के लिए तैयार रहें।
दोषियों पर फरवरी 2019 में आरोप लगाए गए थे । आरोप में वीजा धोखाधड़ी करने की साजिश रचने का आरोप और कई वीजा धोखाधड़ी के मामले शामिल थे। अस्वपति ने 2020 में सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था और गिरी ने 28 अक्टूबर 2024 को अपना गुनाह कबूल किया था।
इस मामले की जांच होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशन्स (HSI) ने की थी। USCIS (यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज) ने इसमें मदद की। HSI के स्पेशल एजेंट इन चार्ज टैटम किंग ने कहा, 'यह मामला H-1B वीजा प्रोग्राम की इंटिग्रिटी को बचाने के लिए फेडरल एजेंसियों की जिम्मेदारी को साफ दिखाता है।'
दत्तापुरम और गिरी की सजा का ऐलान 24 फरवरी 2025 को किया जाएगा। अस्वपति की सजा की सुनवाई 25 नवंबर 2024 को होनी है। वीजा धोखाधड़ी के हर आरोप पर 10 साल की जेल और $250,000 का जुर्माना हो सकता है। साजिश रचने के आरोप पर 5 साल की जेल और $250,000 का अतिरिक्त जुर्माना हो सकता है।
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