शिकागो स्थित भारतीय-अमेरिकी ऑन्कोलॉजिस्ट भरत बरई ने हाल ही में एक साक्षात्कार में दावा किया कि भारत में चुनावों के बीच पश्चिम में भारतीय लोकतंत्र में अराजकता के बारे में जानबूझकर झूठी बातें गढ़ी जा रही हैं।
बरई ने विशेष रूप से 29 अप्रैल को प्रकाशित वाशिंगटन पोस्ट के एक लेख का उल्लेख किया जिसमें खालिस्तान समर्थक सिख नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून (अमेरिकी धरती पर) की असफल हत्या की साजिश में भारतीय संलिप्तता का आरोप लगाया गया था।
डॉ. बरई ने कहा कि खालिस्तान की समस्या केवल कनाडा में है। शायद थोड़ी अमेरिका में भी है। यदि अमेरिकी सरकार उन्हें जमीन का एक टुकड़ा देना चाहती है, तो उन्हें खुश होने दें। आख़िरकार वे विदेशी नागरिक हैं। वे या तो संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक हैं या कनाडा के। भारत में जो हो रहा है उसमें हस्तक्षेप करने का उन्हें क्या अधिकार है?
बरई ने कहा कि अगर वे अपने लिए अलग जमीन चाहते हैं तो कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो उन्हें दे दें। अगर अमेरिका ऐसा सोचता है कि यह एक अच्छा विचार है तो उन्हें ऐसा करने दें। हम अब्राहम लिंकन (वाशिंगटन डीसी में स्मारक) के ठीक सामने खड़े हैं। जब दक्षिण (अमेरिका) अलग होना चाहता था तो उन्होंने क्या किया? हमारे यहां गृह युद्ध हुआ। वाशिंगटन डीसी में लिंकन को राष्ट्रपिता माना जाता है। यह (खालिस्तान) भारत की समस्या नहीं है। भारतीय सिखों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। यह विदेश में जन्मे या विदेश में रहने वाले सिख और उनका एक बहुत छोटा सा हिस्सा हैं।
इस बीच बराई ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की प्रगति की प्रशंसा की। प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी ने कहा कि आज का भारत अलग है। पिछले 10 वर्षों में भारत ने बहुत प्रगति की है। यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। वह सैन्य तौर पर भी प्रगति कर रहा है। भारत वास्तव में गुटनिरपेक्ष है। भारत के अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के साथ मित्रतापूर्ण संबंध है। लेकिन उसकी रूस से भी दोस्ती है। इसीलिए भारत को इस तरह की आलोचना से रोका नहीं जा सकता।
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