एक सर्वे में दावा किया गया है कि अमेरिका में भारतीय मूल के कई मुसलमानों को खतरनाक स्तर पर भावनात्मक संकट, सामाजिक अलगाव और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। इसकी एक वजह देश में बढ़ते हिंदू राष्ट्रवाद को बताया गया है।
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) और रीथिंक मीडिया ने अमेरिका में अलग अलग जगहों पर 950 भारतीय-अमेरिकी मुसलमानों की प्रतिक्रिया लेकर यह सर्वे किया है। सर्वे की रिपोर्ट ऐसे समय जारी की गई है, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 सितंबर से अमेरिका की यात्रा पर हैं।
व्यापक भेदभाव और बहिष्कार
सर्वे में दावा किया गया है कि जवाब देने वाले काफी लोगों ने पिछले एक दशक में हिंदू मित्रों या परिचितों से उत्पीड़न, भेदभाव या पूर्वाग्रह का सामना करने की बात कही। यह पूर्वाग्रह पेशेवर वातावरण में भी था। कई उत्तरदाताओं ने कहा कि वे पारंपरिक रूप से समावेशी भारतीय-अमेरिकी सांस्कृतिक एवं सामाजिक स्थलों पर अवांछित महसूस करने लगे हैं।
सामाजिक विभाजन व घटता विश्वास
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका में हिंदू राष्ट्रवाद के उदय ने भारतीय अमेरिकी मुसलमानों और हिंदुओं के बीच विश्वास को काफी कम कर दिया है। सर्वे के अनुसार, 80 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वे भारतीय-अमेरिकी समाज में अब कम सहज महसूस करने लगे हैं, खासकर भारत में भाजपा सरकार के उत्थान के बाद से। बहिष्कार की यह भावना हाल के वर्षों में गहरी हुई है।
सोशल मीडिया का प्रभाव
सर्वे में 48 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने फेसबुक, व्हाट्सएप और लिंक्डइन सहित डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उत्पीड़न का अनुभव किए जाने का दावा किया। ऑनलाइन भेदभाव की इन घटनाओं को भावनात्मक रूप से शत्रुता और अलगाव की व्यापक भावना से जोड़कर बताया गया।
मानसिक और भावनात्मक असर
सर्वे में दावा किया गया है कि कथित बहिष्कार और भेदभाव ने भारतीय-अमेरिकी मुसलमानों के मानसिक और भावनात्मक कल्याण को गहराई से प्रभावित किया है। कई उत्तरदाताओं ने डर, अलगाव और भावनात्मक थकावट की बात भी कही। उन्होंने इस माहौल के आगामी युवा पीढ़ियों को प्रभावित किए जाने पर भी चिंता जताई।
धार्मिक अल्पसंख्यकों को खतरा
करीब 94 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने आरोप लगाया कि हिंदू राष्ट्रवाद भारत और अमेरिका दोनों में धार्मिक अल्पसंख्यकों खासतौर से मुसलमानों और ईसाइयों के लिए सीधा खतरा है। 86 प्रतिशत उत्तरदाता हिंदू राष्ट्रवाद को अमेरिका में लोकतंत्र के लिए खतरे के रूप में देख ते हैं। उन्होंने अमेरिकी राजनीति एवं शिक्षण संस्थानों में भी इस विचारधारा की घुसपैठ पर चिंता जताई।
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