इनोवेशन में नाकामियों से कंपनियां कैसे सीखती हैं और संगठन को लचीलापन अपनाने में इसका क्या महत्व है, इस विषय पर इलिनोइस यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के दो प्रोफेसरों ने खास शोध किया है।
इलिनोइस यूनिवर्सिटी में अर्बाना-शैंपेन बिजनेस के स्कॉलर गोपेश आनंद और उज्जल कुमार मुखर्जी का ये हालिया शोध खासतौर से फार्मा और मेडिकल उपकरणों से संबंधित इनोवेशन संचालित क्षेत्रों में विफलताओं से संगठनात्मक क्षमता विकसित करने की गतिशीलता पर प्रकाश डालता है।
बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के भारतीय-अमेरिकी के प्रोफेसर गोपेश आनंद और उज्जल मुखर्जी के नेतृत्व में किए गए इस शोध में दो अलग-अलग प्रकार की विफलताओं को रेखांकित किया गया है। एक है प्रक्रिया से संबंधित चूक और दूसरी है डिजाइन से संबंधित गलतियां।
इन्होंने 2000 से लेकर 2016 तक मेडिकल उपकरण और दवा उद्योगों में सक्रिय अमेरिका की 100 से अधिक सार्वजनिक कंपनियों का विश्लेषण करके अपना निष्कर्ष निकाला। इन्होंने देखा कि कंपनियों ने प्रक्रिया संबंधित गलतियों की तुलना में डिजाइन संबंधित रिकॉल से अधिक सीखा।
आनंद बताते हैं कि स्लिप-अप में कंपनियों को यह तो पता था कि क्या करना है लेकिन वे उसे निष्पादित नहीं कर पाईं। जबकि नॉलेज गैप में यही महसूस नहीं हो रहा था कि कोई गलती हो रही है। दिलचस्प बात यह है कि कंपनियों ने नॉलेज गैप वाली गलती से ज्यादा सबक सीखा।
इसके अलावा, शोध में यह भी देखा गया कि जिन कंपनियों में इनोवेशन को लेकर मजबूत कल्चर था, उनमें डिजाइन से संबंधित नाकामियों से सीखने की ज्यादा क्षमता थी। नवाचार से जुड़े जोखिमों के बावजूद, ऐसी कंपनियां विफलताओं से अधिक कुशलता से उबर पाईं, जिससे लंबे समय में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ गई।
मुखर्जी ने जोर देकर कहा कि कंपनियों को इनोवेशन से पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि यह निरंतर सुधार और लचीलेपन की संस्कृति को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि फार्मा और चिकित्सा उपकरणों जैसे नवाचार संचालित उद्योगों में, कंपनियां लागत बढ़ाने या बाजार विस्तार करने के बजाय इनोवेशन पर फोकस करती हैं तो वे कंपटीशन में मजबूती से टिकने लायक बनती हैं।
इस शोध के नतीजे सिर्फ दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग तक सीमित नहीं हैं। मोटर वाहन, खिलौने और सॉफ्टवेयर जैसे अन्य क्षेत्रों में भी इनकी प्रासंगिकता है। आनंद आगाह करते हैं कि समस्याओं के दिखावटी समाधान कंपनियों पर भारी पड़ सकते हैं। इसके लिए क्वालिटी और सेफ्टी से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
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