भारतीय मूल के अमेरिकी प्रतिनिधि एमी बेरा ने अन्य सांसदों के साथ मिलकर देश में बुजुर्गों को जरूरत के वक्त तुरंत स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए विधेयक को महत्वपूर्ण सुधारों के साथ पेश किया है। सीनियर्स टाइमली एक्सेस टू केयर एक्ट में इन सुधारों का उद्देश्य मेडिकेयर एडवांटेज (एमए) के तहत पहले से ऑथराइजेशन लेने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है।
इससे वरिष्ठ नागरिकों को जरूरत के वक्त तुरंत आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल मिल सकेगी। हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स को कागजी कार्यवाही से पहले बुजुर्गों के स्वास्थ्य को तवज्जो देनी होगी। इस द्विदलीय और द्विसदनीय कानून को पेश करने वालों में प्रतिनिधि एमी बेरा के अलावा सुजान डेलबेन, लैरी बुक्सन, माइक केली और सीनेटर रोजर मार्शल, क्रिस्टन सिनेमा, जॉन थ्यून और शेरोड ब्राउन शामिल हैं।
Today, I reintroduced the Improving Seniors’ Timely Access to Care Act with my colleagues.
— Ami Bera, M.D. (@RepBera) June 12, 2024
I'm proud of the incremental progress we've made so far, but, we must go further and codify these advancements into law. pic.twitter.com/fqSmYPK6ur
कांग्रेसमैन एमी बेरा ने कहा कि मुझे इस द्विदलीय, द्विसदनीय कानून को पेश करने में खुशी हो रही है, जो वरिष्ठ नागरिकों को चिकित्सा देखभाल तक पहुंच पाने में काफी मददगार साबित होगा। इससे उनकी सुरक्षा को कानूनबद्ध किया जा सकेगा। इसके पारित होने के बाद उन्हें इलाज से इनकार और अनावश्यक प्रक्रियागत देरी का सामना नहीं करना होगा।
सैक्रामेंटो काउंटी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में काम कर चुके कांग्रेसी बेरा ने कहा कि डॉक्टर होने के नाते मैं जानता हूं कि ऐसा माहौल बनाना कितना महत्वपूर्ण है, जिसमें कोई डॉक्टर इलाज के लिए पहले ऑथराइजेशन लेने के सिस्टम में न उलझे और रोगियों को तुरंत देखभाल उपलब्ध करा सके।
इम्प्रूविंग सीनियर्स टाइमली एक्सेस टू केयर एक्ट को पिछली कांग्रेस के दौरान सदन से सर्वसम्मति से पास हो गया था। हालांकि सीनेट और प्रतिनिधि सभा दोनों में ही सदस्यों ने इस पर कुछ सवाल भी उठाए थे। मौजूदा व्यवस्था में हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स को कुछ बीमारियों के इलाज से पहले अनुमोदन लेना आवश्यक होता है। गैरजरूरी इलाज और अनावश्यक खर्चों से बचने के लिए यह नियम बनाया गया है।
हालांकि इसकी वजह से कई बार इमरजेंसी में इलाज के दौरान देरी हो जाती है और लोगों को कागजी कार्यवाही में उलझना पड़ता है। हर चार में से तीन मेडिकेयर प्रोवाइडर इस समस्या से जूझ रहे हैं। संशोधित कानून का उद्देश्य इन्हीं समस्याओं का समाधान करके जरूरत के वक्त बुजुर्गों को तुरंत चिकित्सा उपलब्ध कराना है।
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