भारत सरकार ने उन खबरों को खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि भारत ने सिख प्रवासी संगठनों के दमन के लिए उत्तरी अमेरिका में स्थित वाणिज्य दूतावासों को एक 'सीक्रेट मेमो' भेजा था। भारत के विदेश मंत्रालय ने ऐसे दावों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और उन्हे भारत के खिलाफ दुष्प्रचार का हिस्सा करार दिया है।
Our response to media queries on reports of MEA "secret memo" in April 2023:https://t.co/LcHTl5HUpf pic.twitter.com/7ilEyqkVDX
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) December 10, 2023
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि 'सीक्रेट मेमो' से जुड़े तमाम दावे फर्जी हैं और पूरी तरह से मनगढ़त हैं। यह भारत के खिलाफ सिर्फ एक दुष्प्रचार है। यह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी द्वारा फैलाया गया एक झूठ है।
इस साल अप्रैल में वाणिज्य दूतावासों को भेजे गए कथित दस्तावेज में लक्ष्य के रूप में नामित होने के दो महीने बाद जून में वैंकूवर में सिख आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई थी। लगभग उसी समय अमेरिका ने एक अन्य सिख आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के नाकाम प्रयास में भारत सरकार के शामिल होने का आरोप लगाया।
बागची ने कहा कि हम दृढ़ता से साफ करना चाहते हैं कि ऐसी खबरें फर्जी और पूरी तरह से मनगढ़ंत हैं। जो लोग ऐसी फर्जी खबरों को बढ़ावा देते हैं वे ऐसा केवल अपनी विश्वसनीयता की कीमत पर करते हैं।
वह दस्तावेज जिसके बारे में द इंटरसेप्ट का कहना था कि इसका शीर्षक 'खालिस्तान चरमपंथ पर कार्रवाई बिंदु' था और उसमें विदेश मंत्रालय ने अपने वाणिज्य दूतावासों को सिख फॉर जस्टिस, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, सिख समन्वय समिति पूर्वी तट, विश्व सिख संसद, शिरोमणि अकाली दल अमृतसर अमेरिका, सिख यूथ ऑफ अमेरिका सहित अलगाववादी सिख समूहों का मुकाबला करने के लिए भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया था।
भारत ने इनमें से अधिकतर संगठनों पर प्रतिबंध लगा रखा है जबकि अमेरिका और कनाडा ने भी बब्बर खालसा इंटरनेशनल पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत ने पन्नू और निज्जर दोनों को आतंकवादी घोषित कर चुका है।
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