ऐसा मालूम होता है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरने के लिए एक मुहिम चल रही है। इसके लिए बिना की आधिकारिक पुष्टि के तमाम तरह के मनगढ़ंत आरोप लगाए जा रहे हैं। अमेरिकी मीडिया के आरोप लगाने के बाद ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में मंगलवार एक खबर सामने आई है कि ऑस्ट्रेलिया ने कथित तौर पर 'खुफिया जानकारी चुराने' की कोशिश करने के आरोप में 2020 में दो भारतीय जासूसों को निष्कासित कर दिया था। हालांकि इसकी किसी अधिकारी ने पुष्टि नहीं की है। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कहा है कि भारतीय खुफिया एजेंसियां 'जासूसों के घोंसले' का हिस्सा थीं।
गौरतलब है कि हाल ही में खालिस्तानी आतंकवादी और अमेरिकी-कनाडाई नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित हत्या की नाकाम साजिश के मामले में अमेरिकी अखबार ने भारत की खुफिया एजेंसी पर आरोप लगाया था। हालांकि वाशिंगटन पोस्ट में छपी उस खबर पर भारत के विदेश मंत्रालय ने पलटवार किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन रॉ प्रमुख सामंत गोयल ने न्यूयॉर्क में खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की योजना को मंजूरी दी थी।
इन सबके बीच ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने इन दावों को व्यापक कवरेज दिया है कि संवेदनशील रक्षा परियोजनाओं और हवाई अड्डे की सुरक्षा के बारे में गोपनीय जानकारी चुराने की कोशिश करते पकड़े जाने के बाद भारतीय जासूसों की पहचान की गई और उन्हें निष्कासित कर दिया गया।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में सामंत गोयल के खिलाफ सीधे आरोप लगाए गए थे और यह भी कहा गया था कि भारत के प्रमुख राजनेताओं को अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की योजना के बारे में पता हो सकता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि रिपोर्ट काल्पनिक है और जारी जांच के लिहाज से मददगार नहीं है। जायसवाल ने कहा था कि यह रिपोर्ट गैर जिम्मेदाराना है क्योंकि 'संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क' पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं पर उच्च स्तरीय समिति जांच कर रही है।
हालांकि अमेरिकी मीडिया ने किसी भी अधिकारी या ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने किसी का हवाला नहीं दिया है, जिसमें यह आरोप लगाया कि रॉ के अधिकारी ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीयों की बारीकी से निगरानी कर रहे थे। वर्तमान और पूर्व राजनेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित कर रहे थे।
लेकिन एबीसी मीडिया समूह की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सरकारी आंकड़ों ने पुष्टि की है कि भारत की विदेशी खुफिया सेवा जासूसों के घोंसले के लिए जिम्मेदार थीं और कई भारतीय अधिकारियों को बाद में (स्कॉट) मॉरिसन सरकार ने (2020 में) ऑस्ट्रेलिया से हटा दिया था। हालांकि, ASIO के प्रमुख माइक बर्गेस ने इसका कड़ा प्रतिरोध किया है। उन्होंने किसी मीडिया समूह के उनके पास पहुंचने पर दावे को सही नहीं ठहराया। यह पूछे जाने पर कि क्या वह कभी ऑस्ट्रेलिया से भारतीय कर्मियों के निष्कासन में शामिल थे, उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि भारत ने टोरंटो में खालसा दिवस समारोह में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और विपक्ष के नेता पियरे पोइलीवरे की मौजूदगी में खालिस्तान समर्थक नारे लगाने को लेकर कनाडा के उप राजदूत स्टीवर्ट व्हीलर को तलब किया था। भारत अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वॉड का सदस्य है और चीन के सैन्य निर्माण का मुकाबला करने के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी के रूप में देखा जाता है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login