अमेरिका में बिना दस्तावेज के रहने वाले अप्रवासियों में भारतीय तीसरा सबसे बड़ा समूह है। इनकी संख्या लगभग 725,000 है। 2011 के बाद से गैर दस्तावेजी भारतीयों की संख्या में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो बाकी देशों के नागरिकों से कहीं ज्यादा है। इस मामले में भारत शीर्ष पांच देशों में एकमात्र गैर लैटिन अमेरिकी देश है। ये बातें प्यू रिसर्च सेंटर के 2021 के अनुमानों में कही गई हैं।
अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा के आंकड़े बताते हैं कि गैर दस्तावेजी भारतीय अप्रवासियों की आमद में 2020 से 2023 के बीच सबसे तेजी से बढ़ोतरी हुई है। द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, ये अप्रवासी आमतौर पर मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से हैं। ये अक्सर अमेरिका आने के लिए अपनी सारी जमापूंजी दांव पर लगा देते हैं। ये अमेरिका आने के लिए प्रति व्यक्ति 40,000 से 100,000 डॉलर तक खर्च कर देते हैं। वे इस उम्मीद में ऐसा करते हैं कि अमेरिका आकर उनकी कमाई बढ़ जाएगी, उनके बच्चों को बेहतर भविष्य मिलेगा और उनके बेटों की अच्छी जगह शादी हो पाएगी।
भारत के तीन पश्चिमी राज्यों में एक दर्जन से अधिक परिवारों और उनके एजेंटों से किए गए इंटरव्यू से पता चला है कि अमेरिका आने के लिए ये लोग उदार वीजा देने वाले कई देशों का सफर करके अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं। एजेंट कई चरणों में उनकी यात्रा करवाते हैं। यात्रा को सुविधाजनक बनाने का जिम्मा एजेंटों का होता है। ये प्रवासी जैसे जैसे लैटिन अमेरिका या कनाडा के नजदीक आते हैं, एजेंट उन्हें अगले ठिकाने का विमान टिकट प्रदान करते हैं। इसके बाद, भुगतान की गई राशि के आधार पर प्रवासियों को या तो पैदल या फिर ट्रांसपोर्ट करके अमेरिकी सीमा तक लाया जाता है। सीमा पर उनसे होने वाली पूछताछ के लिए भी उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। उनसे कहा जाता है कि पूछताछ होने पर वे भारत में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताएं।
इस सफर में किस तरह के जोखिम होते हैं, इसका उदाहरण दिसंबर 2022 में उस समय मिला था जब बृजकुमार यादव नाम के शख्स ने ट्रम्प वॉल के रास्ते अमेरिका में प्रवेश का प्रयास किया था। दुखद हादसे में वह वॉल के ऊपर से तिजुआना के मैक्सिकन इलाके में गिर गया था। उसकी तुरंत मृत्यु हो गई थी। यादव के साथ उसका बच्चा भी था। उसकी पत्नी पूजा सैन डिएगो में अमेरिका की तरफ 30 फीट की ऊंचाई से गिरी थी। नतीजा ये हुआ कि उनके तीन साल के बच्चे को भी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) इकाई की हिरासत में रखा गया था।
अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच भारत से 96,917 लोगों को पर्याप्त दस्तावेजों के बिना अमेरिका पहुंचने का प्रयास करते हुए गिरफ्तारी, निर्वासन या प्रवेश से इनकार का सामना करना पड़ा था। यह 2019 से 2020 में इसी अवधि की तुलना में पांच गुना अधिक है। उस दौरान 30,010 भारतीयों को कनाडा सीमा पर और 41,770 को दक्षिणी सीमा पर कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। कानून प्रवर्तन एजेंसियां मानती हैं कि ये संख्या केवल दर्ज मामलों की हैं। अवैध रूप से अमेरिका आने वाले वास्तविक लोगों की तादाद काफी अधिक हो सकती है।
इन प्रवासियों के मुश्किल भरे सफर को डंकी रूट नाम दिया गया है। यह एक पंजाबी शब्द है जिसका अर्थ है एक जगह से दूसरी जगह पर कूदना। इस खुफिया रास्ते से सफर करने वाले लोग अक्सर यूरोपीय संघ के लिए पर्यटक वीजा लेते हैं, जिससे 26 सीमावर्ती देशों में यात्रा की अनुमति मिल जाती है। इसके बाद एजेंट यूके में अवैध प्रवेश या आगे अमेरिका तक पहुंचाने में मदद करते हैं।
एक दूसरा रास्ता भारत से मध्य पूर्व होकर अमेरिका पहुंचने का होता है। इसमें प्रवासी अफ्रीका और उसके बाद दक्षिण अमेरिका जाते हैं। वहां से मेक्सिको और आखिरकार अमेरिकी सीमा पार करते हैं। अमेरिका पहुंचाने के लिए स्मगलर बहुत ज्यादा फीस लेते हैं और जाली यात्रा दस्तावेज बनाकर जहाज के कंटेनरों में भरकर जोखिम भरे तरीके से ले जाते हैं।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login