विदेश में बसे भारतीय मूल के लोगों द्वारा भारत में पैसे भेजने (रेमिटेंस) की दर में अगले दो वर्षों में लगातार वृद्धि होने की उम्मीद है। ये संभावना भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में लगाई है।
आर्थिक सर्वेक्षण भारतीय अर्थव्यवस्था पर आधारित एक वार्षिक रिपोर्ट है, जिसे मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के मार्गदर्शन में आर्थिक मामलों के विभाग के अर्थशास्त्र प्रभाग द्वारा तैयार किया जाता है। यह सर्वे देश की आर्थिक स्थिति और भविष्य की संभावनाओं का व्यापक आकलन प्रदान करता है।
इस सर्वेक्षण के अनुसार, भारत का रेमिटेंस आउटलुक काफी मजबूत है। इस साल रेमिटेंस 3.7 प्रतिशत बढ़कर 124 अरब अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। यह ट्रेंड अगले साल 4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ जारी रहने का अनुमान है। 2025 में कुल रेमिटेंस 129 अरब अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है।
सर्वेक्षण में रेमिटेंस की इस वृद्धि के लिए तमाम देशों में बसे भारतीय प्रवासियों की विविधता को श्रेय दिया गया है। उच्च आय वाले ओईसीडी बाजारों में अत्यधिक कुशल प्रवासी और जीसीसी बाजारों में कम कुशल प्रवासी रहते हैं। यह मेल बाहरी झटकों के बावजूद रेमिटेंस को स्थिर बनाता है।
सर्वे में कहा गया है कि संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर जैसे देशों द्वारा भारतीय यूपीआई को अपनाने से भारत में पैसे भेजने की लागत घट गई है और रेमिटेंस ट्रांसफर में तेजी आई है। यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा।
आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। मुद्रास्फीति भी लक्ष्य के अनुरूप रहने की संभावना जताई गई है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025 में महंगाई दर 4.5 प्रतिशत और 2026 में 4.1 प्रतिशत रहने की बात कही है।
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