भारत सरकार ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय की उस रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें मणिपुर में मानवाधिकारों के बड़े उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। सरकार ने रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को पक्षपातपूर्ण बताते हुए खारिज किया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कड़ी आलोचना करते हुए जोर देकर कहा कि यह रिपोर्ट बेहद पक्षपाती है और भारत की बहुत खराब समझ को दर्शाती है। हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं और आपसे भी ऐसा ही करने का आग्रह करते हैं।
2023 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज: इंडिया नाम की इस रिपोर्ट में मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के कथित उदाहरणों का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में वहां के हालात को शर्मनाक करार देते हुए इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कार्रवाई का आह्वान किया गया था।
रिपोर्ट में मणिपुर के अलावा 14 फरवरी को दिल्ली और मुंबई में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) के दफ्तरों में 60 घंटे तक तलाशी अभियान चलाने की घटना का भी हवाला दिया गया है। ये कार्रवाई पीएम मोदी पर एक डॉक्युमेंट्री जारी करने के तुरंत बाद की गई थी।
अमेरिकी कांग्रेस के समर्थन से आने वाली इस सालाना रिपोर्ट ने भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक तनाव पैदा कर दिया है। भारत ने आरोपों का जोरदार खंडन किया है और मानवाधिकारों को कायम रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर जताई है।
भारत सरकार ने प्रतिक्रिया में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की तरफ इशारा करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की अनिवार्यता पर जोर दिया। जायसवाल का कहना था कि हम सभी को इस बात से आंका जाता है कि हम अपने घर पर क्या करते है, न कि इससे कि विदेशों में हमारे बारे में क्या कहा जाता है।
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