इन्फिनिटी फाउंडेशन के संस्थापक तथा भारत और हिंदू धर्म पर कई पुस्तकों के लेखक भारतीय-अमेरिकी राजीव मल्होत्रा का कहना है कि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर यह अनुमान नहीं लगा सकते कि कमजोरियां कहां हैं और हमले कहां से हो रहे हैं। विदेश मंत्री प्रतिक्रिया तो दे सकते हैं लेकिन वह यह नहीं बता सकते कि अगला हमला कहां हो रहा है, बुरे लोग कौन हैं, ऐसा करने वाले कौन हैं। इसलिए क्योंकि न तो उन्होंने इसकी खोज की है और न कोई शोध।
मल्होत्रा ने कहा कि मैं हर समय इसी पर शोध कर रहा हूं। उसे प्रकाशित कर रहा हूं, लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि वे इसे गंभीरता से ले रहे हैं। मुझे नहीं पता कि वे इसे ठीक से पढ़ रहे हैं। और यही सोचकर वह इधर-उधर भाग रहे हैं कि अगला हमला कहां होगा। आप तब तक लंबा नहीं जी सकते जब दूसरा पक्ष यह तय कर रहा हो कि आप पर कब, कैसे और कहां हमला करना है ...और फिर आप जवाब देंगे।
बकौल मल्होत्रा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), जो भारत के विदेश मंत्री को रिपोर्ट करती है इन बौद्धिक चुनौतियों से निपटने में प्रभावी नहीं रही है। वे बस (आईसीसीआर) सोचते रहते हैं। वे थिंक टैंक और इसके जैसे अन्य शब्दों का इस्तेमाल करते रहते हैं लेकिन इन तथाकथित थिंक टैंक्स में कुछ नहीं हो रहा।
मल्होत्रा का मानना है कि आरएसएस और इस तरह के संगठनों को विचारों में विविधता लाने और अपने बौद्धिक आधार को मजबूत करने के लिए गैर-आरएसएस बुद्धिजीवियों के नेतृत्व वाली पहल के वित्तपोषण के लिए खुला रहना चाहिए। मैं आरएसएस का प्रबल समर्थक हूं। अगर आरएसएस न होता तो हम गंभीर संकट में पड़ जाते। लेकिन आप जानते हैं कि वहां एक रैंक और फ़ाइल है। एक बहुत बड़ा संगठन है। जब भी कोई बहुत बड़ा संगठन होता है जो लंबे समय से वहां मौजूद होता है, तो वह जन्मजात होता है।
भारत में सकारात्मक विकास और चुनौतियां
मल्होत्रा ने मोदी सरकार के तहत भारत के लिए अगले पांच वर्षों की स्थिरता की भविष्यवाणी की है। वह सुझाव देते हैं कि यह अवधि आवश्यक संवैधानिक परिवर्तनों के लिए अवसर प्रदान कर सकती है। बहुत अधिक विकास की आवश्यकता है लेकिन उन्होंने इसे पूरा किया है और आप सांख्यिकीय रूप से दिखा सकते हैं कि समाज के हर वर्ग को लाभ हुआ है। यानी गरीब लोगों को लाभ हुआ है, अल्पसंख्यकों को लाभ हुआ है।
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