भारत के संसदीय चुनावों में जीत के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरी बार सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि उसकी स्थिति पहले के मुकाबले काफी कमजोर हो गई है। 2019 के चुनावों में बीजेपी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया था, लेकिन 2024 में वह बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों से काफी पीछे, 240 सीटों के आसपास सिमटती दिख रही है।
एनडीए के सहयोगी दलों की बदौलत बीजेपी की सरकार तो बन रही है, लेकिन उसकी धार कमजोर हो गई है। इसकी वजह ये है कि मोदी सरकार जिन दो प्रमुख सहयोगी दलों- नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के सहारे है, उनकी छवि दलबदलू की तरह रही है। कांग्रेस पार्टी ने इसी मौके का फायदा उठाते हुए इन दलों के नेताओं पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।
'बैसाखी सरकार'
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने अप्रत्याशित रूप से काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। कांग्रेस पार्टी पिछले चुनावों के मुकाबले लगभग दोगुनी सीटें हासिल करने की तरफ बढ़ रही है। राहुल गांधी ने वायनाड के अलावा रायबरेली से भी बड़े अंतर से जीत हासिल कर ली है। नतीजों से उत्साहित विपक्षी दल इन चुनाव के नतीजों को मोदी सरकार की हार की तरह पेश कर रहे हैं।
एक दशक में यह पहली बार है, जब मोदी की भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर बहुमत हासिल करने में नाकाम रही है। इसी के साथ भारत में गठबंधन सरकार का दौर फिर से शुरू हो गया है। खबर लिखे जाने तक चूंकि वोटों की गिनती जारी थी, इसलिए सीटों के सटीक आंकड़े का इंतजार है। लेकिन इतना तो साफ है कि बीजेपी को इस बार गठबंधन सहयोगियों की बैसाखी के सहारे अपनी सरकार चलानी होगी। उसके सामने चुनौतियां ज्यादा होंगी। विपक्ष मजबूत होकर उसकी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाएगा।
'नैतिक पराजय'
मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी पिछले चुनाव के मुकाबले लगभग दोगुनी सीटें हासिल करने की तरफ बढ़ रही है। इसे भाजपा के चुनावी रथ को रोकने की विपक्षी दलों की संयुक्त रणनीति का सफल नतीजा कहा जा रहा है। नतीजों से उत्साहित कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि मतदाताओं ने भाजपा को दंडित किया है। मुझे विश्वास था कि देश के लोग इस बार सही कदम उठाएंगे।
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— Congress (@INCIndia) June 4, 2024
चुनाव के पूरे नतीजे आने से पहले ही भाजपा मुख्यालय में जश्न शुरू हो गया, लेकिन इस बार कांग्रेस मुख्यालय में भी खासा उल्लास था। कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला का कहना है कि भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने में फेल साबित हुई है। यह उसके लिए एक नैतिक हार है।
मोदी सरकार में कई मुस्लिम अल्पसंख्यक अपने भविष्य को लेकर असहज रहे हैं, ये किसी से छिपा नहीं है। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने खुद मुसलमानों को 'घुसपैठिया' बताते हुए उनके बारे में कई तीखी टिप्पणियां की थीं। इस चुनाव के नतीजों को कई मुस्लिम नेता मोदी सरकार के लिए सबक बता रहे हैं।
'भारतीय लोकतंत्र की ताकत'
भारत ने इन चुनावों के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाया है। एक दिन पहले भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया था कि इन चुनावों में 642 मिलियन यानी 64.2 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले थे। यह सभी जी7 देशों के मतदाताओं का डेढ़ गुना और यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के मतदाताओं का ढाई गुना है।
सीईसी राजीव कुमार का कहना था कि यह भारतीय लोकतंत्र की ताकत दिखाता है। उन्होंने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में पुनर्मतदान महज 39 हुए, जबकि 2019 में 540 रीकाउंटिंग करानी पड़ी थीं। 39 में से 25 पुनर्मतदान सिर्फ दो राज्यों में हुए। इस बार चुनावों में हिंसक वारदातें भी ना के बराबर हुईं।
इस बार 31 करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। वोटिंग प्रतिशत 66.3 प्रतिशत रहा था, जो 2019 के पिछले चुनावों के 67.4 प्रतिशत से लगभग एक प्रतिशत कम है। विश्लेषक कम मतदान के लिए उत्तर भारत में भीषण गर्मी को भी जिम्मेदार मान रहे हैं।
(एएफपी के इनपुट के साथ)
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