नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) के हवाले से आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय प्रवासियों ने अमेरिका से भी ज्यादा कनाडा को तवज्जो दी है। हालांकि अब यह परिपाटी बदलने की संभावना है।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 में कनाडा में आए भारतीय प्रवासियों की संख्या 32,828 थी, जो 2023 में 326 प्रतिशत बढ़कर 1,39,715 तक पहुंच गई। इस बढ़ोतरी में भारतीय छात्रों की बढ़ी संख्या को काफी योगदान है।
NFAP के मुताबिक, 2016 से 2019 के बीच कनाडाई विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों का नामांकन 51 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है। जबकि अमेरिकी यूनिवर्सिटियों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की बढ़ोतरी का प्रतिशत महज 5.6 प्रतिशत ही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में कनाडा के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए आने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 5811 प्रतिशत की बढोतरी हो चुकी है। साल 2000 में महज 2181 भारती छात्र कनाडा पढ़ाई के लिए आए थे और 2021 में इनकी संख्या बढ़कर 128,928 हो गई थी।
2000 और 2021 के बीच कनाडाई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के बढ़े हुए नामांकन में भारतीय छात्रों की हिस्सेदारी 37% रही है। वहीं इसी अवधि में अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या 526,809 से बढ़कर 763,760 हो गई। इस तरह इसमें 236,951 यानी 45% की वृद्धि हुई।
पिछले कुछ वर्षों में फेडरल सरकार ने कनाडा में इमिग्रेशन के कई नए रास्ते खोले, जिससे विदेशियों के लिए वहां आना और रोजगार करना काफी आसान हो गया था। लेकिन अब सरकार अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या को सीमित करने की दिशा में कदम उठा रही है। कनाडा ने साल 2024 के लिए लगभग 360,000 आवेदनों की सीमा तय की है, जो 2023 के मुकाबले 35 प्रतिशत कम है।
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