ADVERTISEMENTs

AI के लिए दुनिया कितनी तैयार, IMF ने बनाया 174 देशों का इंडेक्स, देखें भारत का स्थान

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रिपेयर्डनेस इंडेक्स (AIPI) डैशबोर्ड में 174 देशों को उनकी एआई रेडीनेस के हिसाब से जगह दी गई है। इस इंडेक्स में चार कैटिगरी बनाई गई हैं

इंडेक्स में हर देश को चार प्रमुख क्षेत्रों के आधार पर रेटिंग दी गई है। / image : unsplash

इन दिनों जहां देखो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का बोलबाला है। हर क्षेत्र में एआई नए-नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। तकनीक के इस नए युग के लिए दुनिया के देश कितने तैयार हैं, इसे लेकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने एक खास इंडेक्स जारी किया है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रिपेयर्डनेस इंडेक्स (AIPI) डैशबोर्ड में 174 देशों को उनकी एआई रेडीनेस के हिसाब से जगह दी गई है। इस इंडेक्स में चार कैटिगरी बनाई गई हैं- एडवांस इकोनमी (AE), उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्था (EM) और निम्न-आय वाले देश (LIC)। 

इस इंडेक्स में सबसे ऊपर सिंगापुर है, जिसे एआई रेडीनेस में 0.80 रेटिंग दी गई है। उसके बाद डेनमार्क (0.78), अमेरिका (0.77), नीदरलैंड्स (0.76) और एस्टोनिया (0.75) को टॉप-5 एडवांस इकोनमी श्रेणी में रखा गया है। 

इस इंडेक्स में भारत को 0.49 रेटिंग के साथ ईएम यानी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कुल 174 देशों के इस इंडेक्स में भारत 72वें स्थान पर है। बांग्लादेश (0.38) 113 नंबर पर, श्रीलंका (0.43) 92वें स्थान पर और चीन (0.63) 31 नंबर पर है।

इस इंडेक्स में हर देश को चार प्रमुख क्षेत्रों के आधार पर रेटिंग दी गई है। ये हैं- डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, मानव पूंजी, श्रम बाजार नीतियां और नवाचार, आर्थिक एकीकरण व रेग्युलेशन में तत्परता।

भारत को इनोवेशन एवं इकोनमिक इंटीग्रेशन में इंडोनेशिया के बराबर 0.11 अंक दिए गए हैं लेकिन ये चीन के 0.15, सिंगापुर के 0.18, यूके के 0.16 और अमेरिका के 0.18 अंकों से कम हैं। रेग्युलेशंस और एथिक्स के मामले में भारत और चीन का स्कोर एकजैसा 0.15 है। ये दोनों ही सिंगापुर (0.22), इंडोनेशिया (0.16), यूके (0.21) और अमेरिका (0.22) से पीछे हैं। 

इस साल की शुरुआत में आईएमएफ ने अपने रिसर्च पेपर के आधार पर एक ब्लॉग पब्लिश किया था। इसमें कहा गया था कि एआई की वजह से एडवांस अर्थव्यवस्था वाले देशों में 33 प्रतिशत नौकरियां खतरे में आ सकती हैं। इसी तरह उभरी अर्थव्यवस्थाओं में 24 प्रतिशत, कम आय वाले देशों में 18 प्रतिशत नौकरियों पर संकट छा सकता है। कुल मिलाकर पूरी दुनिया में 40 प्रतिशत नौकरियां एआई की वजह से प्रभावित हो सकती हैं। 

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

Related