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भारत में रोजगार की चुनौतियों से किस तरह जूझ रहे युवा, रिपोर्ट से खुलासा

रिपोर्ट कहती है कि भारत में लाखों युवा हर साल श्रम बाजार में आते हैं। हालांकि उनकी आकांक्षाएं रोजगार के उपलब्ध अवसरों से मेल नहीं खातीं। युवा आबादी के बीच शिक्षा के स्तर में सुधार के बावजूद श्रम बाजार निराशाजनक साबित हुआ है। 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट की लॉन्चिंग के मौके पर अनंत नागेश्वरन। / X - @ILONewDelhi

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और मानव विकास संस्थान (IHD) की हाल ही में एक रिपोर्ट आई है। इसका शीर्षक है- India Employment Report 2024: Youth education, employment, and skills। यह रिपोर्ट भारत में विकसित लेबर मार्केट पर प्रकाश डालती है। इस रिपोर्ट में गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसरों तक पहुंचने में भारत के युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है।

इस रिपोर्ट को भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने लॉन्च किया। इसकी अध्यक्षता भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार दीपक नैय्यर ने की। रिपोर्ट में देश की आबादी खासकर युवाओं के रोजगार डेटा का विश्लेषण किया गया है। 

इसके अनुसार, भारत को उसकी आबादी की वजह से आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण अवसर मिला है। देश में लाखों युवा हर साल श्रम बाजार में आते हैं। हालांकि उनकी आकांक्षाएं रोजगार के उपलब्ध अवसरों से मेल नहीं खातीं। युवा आबादी के बीच शिक्षा के स्तर में सुधार के बावजूद श्रम बाजार निराशाजनक साबित हुआ है। 

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों में कहा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बेरोजगारी और काम छोड़ने की दर ज्यादा है। बढ़ती उम्र के साथ चुनौतियां बढ़ जाती हैं। यह लैंगिक असमानता स्नातकों की तुलना के समय भी ऐसी ही रही है। 

अधिकांश लोग अनौपचारिक रोजगार में लगे हुए थे। बहुत से लोग अपना खुद का कारोबार करने को तवज्जो दे रहे हैं क्योंकि हर समय रोजगार मिलने की गारंटी नहीं है। मजदूरी दरों में स्थिरता, ठेके पर रोजगार देने की व्यवस्था जोर पकड़ने से युवाओं में व्यापक असुरक्षा बढ रही है। 

रिपोर्ट में भारतीय श्रम बाजार में संकट का समाधान करना है तो रोजगार सृजन को बढ़ावा देना होगा, रोजगार की गुणवत्ता बढ़ानी होगी और श्रम बाजार की असमानता दूर करने जैसे बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने होंगे। 

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों (एमएसएमई) का समर्थन करना, युवाओं के रोजगार के लिए उच्च क्षमता वाले क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना और गरीब आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए समावेशी शहरी नीतियां तैयार करना शामिल है।


 

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