बसंत पंचमी के दिन बुधवार को यूएई के अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया। बीएपीएस हिंदू मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव महंतस्वामी महाराज के हाथों सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंदिर के प्रांगण में हजारों भक्तों और संतों ने स्वागत किया। बीएपीएस के आध्यात्मिक गुरु और प्रमुख महंत स्वामी जी महाराज ने उनका भावपूर्ण अभिनंदन किया। इस अवसर पर देश विदेश के हजारों भक्त उपस्थित रहे। इनमें विदेश मंत्री जयशंकर, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, अभिनेता अक्षय कुमार और विवेक ओबेरॉय शामिल हैं।
नागर शैली में बना यह मंदिर भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच अटूट मैत्री को दिखाता है। इस आध्यात्मिक स्थल का आधार 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना है। परिसर में बीएपीएस के संतों ने मंदिर की विशेषताओं के बारे में बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर के प्रत्येक पहलू को ध्यानपूर्वक देखा और सुना।
पीएम मोदी ने पवित्र कुंड में जल अर्पण किया और प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियों के समक्ष आरती की। मोदी ने स्वामीनारायण भगवान का जलाभिषेक भी किया। इसके साथ ही मंदिर निर्माण में अपना योगदान देने वाले स्वयंसेवकों से मोदी ने मुलाकात की। पीएम मोदी ने स्वयं हथौड़े और छैनी से पत्थर पर 'वसुधैव कुटुम्बकम्' अंकित किया।
इसके बाद मंदिर के लोकार्पण समारोह का शुभारंभ हुआ। यूएई के मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाह्यान भी इस मौके पर उपस्थित थे। इस अवसर पर संस्था के सद्गुरु संत एवं संस्था के अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रभारी संत ईश्वर चरण दास स्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार प्रकट किया जिनके योगदान से आज इस मंदिर का साकार रूप विश्व को देखने को मिला है।
इस मंदिर की परियोजना के प्रभारी संत ब्रह्मविहारी स्वामी ने बताया कि पीएम मोदी अबू धाबी में केवल मंदिर के उद्घाटन के लिए ही नहीं, इस मंदिर के अभिन्न भाग बनने के लिए यहां पधारे हैं। जब वे मंदिर परिसर में दर्शन कर रहे थे तब वहां की कला और वास्तुकला के प्रति उनकी रुचि, उनका समर्पण, लगाव देख कर ऐसा लगा मानों वे इस मंदिर के पुजारी है। जो व्यक्ति आज भारत की संस्कृति की पहचान विश्व में बता सकता है और दिखा सकता है तो वह हमारे प्रधानमंत्री मोदी हैं।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की इच्छा थी कि अबू धाबी के मंदिर की नींव 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना पर रखी जाए। स्वामी ने संयुक्त अरब अमीरात के सहिष्णुता मंत्री शेख नाहयान के बारे में कहा कि कोई भी शब्द उनके प्रति हमारे आभार को व्यक्त करने में समर्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सूर्य, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश किसी के नहीं है, लेकिन उनका प्रयोग सभी द्वारा किया जाता है। इसी प्रकार यह मंदिर भी किसी के स्वामित्व में नहीं है और यह सभी के लिए बना है। इस अवसर पर शेख नाहयान ने पीएम मोदी, महंत स्वामी महाराज और भारतीय नागरिकों का आभार प्रकट किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नह्यान को इस मंदिर के निर्माण के लिए दिए गए हर प्रकार के सहयोग की सराहना की और उनका धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने बताया कि प्रमुखस्वामी के इस मंदिर निर्माण के संकल्प से लेकर आज इसके साकार होने तक की यात्रा में वे इससे जुड़े रहे हैं। इस मंदिर निर्माण में संयुक्त अरब अमीरात की सरकार की भूमिका की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।
पीएम ने कहा कि अरब और भारत के रिश्ते हजारों वर्ष पुराने हैं और आज इस घनिष्ठ मैत्री का नया सूत्रधार यह मंदिर है। यह केवल एक उपासना स्थल नहीं है, बल्कि दोनों देशों की साझी विरासत और आध्यात्मिक भावनाओं का प्रतीक है। पीएम मोदी ने कहा कि मैं गर्व से कहता हूं कि मैं मां भारती का पुजारी हूं और 140 करोड़ भारतीय मेरे आराध्य देव हैं। इस मंदिर को मैं पूरी मानवता को समर्पित करता हूं।
बीएपीएस के अध्यक्ष महंत स्वामी महाराज ने अपने संबोधन में इस मंदिर को मरुस्थल में एक कमल की उपमा दी और कहा कि यहां आने वाले सभी अंतर में शांति का अनुभव करेंगे। यह मंदिर प्रेम, शांति और सद्भावना का प्रतीक है। वह प्रेम जो निस्सवार्थता पर आधारित है। वह सद्भावना जिससे दूसरों के सुख में अपने सुख का अनुभव हो। उपस्थित अतिथियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच समारोह का समापन हुआ।
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