भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), खड़गपुर ने चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मानद डॉक्टर ऑफ साइंस (D.Sc.) की उपाधि प्रदान की है। ये चार सम्मानित हस्तियां हैं BAPS संस्था के महामहोपाध्याय भद्रेशदास स्वामी, अल्फाबेट इंक के सीईओ सुंदर पिचाई, बर्कशायर हैथवे, यूएसए में बीमा परिचालन उपाध्यक्ष अजीत जैन और कंट्रोल्स एंड स्विचगियर कॉन्टैक्टर्स लिमिटेड, दिल्ली के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रविंदर नाथ खन्ना।
संस्थान के निदेशक प्रो वीरेंद्र कुमार तिवारी, डीन श्री कमल लोचन पाणिग्रही और रजिस्ट्रार श्री विश्वजीत भट्टाचार्य ने भद्रेशदास स्वामी को प्रमाण पत्र प्रदान किया। Image : BAPS
IIT खड़गपुर के 69वें दीक्षांत समारोह के एक हिस्से के रूप में संस्थान के निदेशक प्रो वीरेंद्र कुमार तिवारी, डीन श्री कमल लोचन पाणिग्रही और रजिस्ट्रार श्री विश्वजीत भट्टाचार्य ने भद्रेशदास स्वामी को प्रमाण पत्र प्रदान किया।
इस अवसर पर प्रो. तिवारी ने चयन प्रक्रिया के बारे में बताया और कहा कि भद्रेशदास स्वामी को इस सम्मान के लिए नामांकित व्यक्तियों के एक समूह से चुना गया और उस निर्णय को 800 से अधिक संकाय सदस्यों, 300 सीनेट सदस्यों और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय तथा भारत के राष्ट्रपति कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त हुआ। यह सम्मान भद्रेशदास स्वामी की हिंदू दर्शन में असाधारण अंतर्दृष्टि, दर्शन, विश्वास और संस्कृति के साथ ही एक वैश्विक संस्कृत विद्वान के रूप में उनकी भूमिका एवं योगदान की पहचान के लिए प्रदान किया गया है।
भद्रेशदास स्वामी को सरदार पटेल विश्वविद्यालय की मानद डॉक्टरेट उपाधि
एक अलग लेकिन उतने ही प्रतिष्ठित आयोजन में महामहोपाध्याय भद्रेशदास स्वामी को सरदार पटेल विश्वविद्यालय, गुजरात द्वारा डॉक्टर ऑफ लेटर्स (D.Litt.) की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। सरदार पटेल विश्वविद्यालय के 66वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में स्वामीजी को यह सम्मान भारत के केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमितभाई शाह और गुजरात के राज्यपाल श्री देवव्रत आचार्य ने प्रदान किया।
स्वामीजी को यह सम्मान भारत के गृहमंत्री श्री अमित शाह और गुजरात के राज्यपाल देवव्रत आचार्य ने प्रदान किया। Image : BAPS
सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. निरंजनभाई पटेल ने कहा कि सदियों पुरानी टिप्पणी परंपरा को पुनर्जीवित करने में भद्रेशदास स्वामी की विशेष भूमिका रही है और यह
संस्कृत और भारतीय संस्कृति के लिए आपका विशेष योगदान है।
पूज्य भद्रेशदास स्वामी ने आभार व्यक्त करते हुए सम्मान का श्रेय भगवान स्वामीनारायण की कृपा एवं आशीर्वाद को दिया जिन्होंने सनातन वैदिक अक्षर-पुरुषोत्तम दर्शन की स्थापना की थी। स्वामीजी ने गुरु परम पावन प्रमुख स्वामीजी महाराज के प्रति आभार व्यक्त किया और साथ ही गुरु परम पावन महंत स्वामी महाराज को प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद दिया।
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