अमेरिका के ह्यूस्टन में श्री गुरुवयुरप्पन मंदिर में अष्टमी रोहिणी का भव्य तरीके से आयोजन किया गया। इसे जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें भगवान कृष्ण के जन्म का सम्मान करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त जमा हुए। समारोह की शुरुआत शोभा यात्रा से हुई।
इस दौरान श्री गुरुवयुरप्पन की मूर्ति को सजाए गए रथ में मंदिर के चारों ओर ले जाया गया। भजन और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि गूंज रही थी। जुलूस का समापन रथ के मंदिर में वापस लाए जाने के साथ हुआ। इसके बाद दीप आरधना समारोह हुआ। सैकड़ों भक्तों ने इस अनुष्ठान में भाग लिया, जिससे मंदिर प्रार्थना की ध्वनियों से गूंज उठा।
समारोह का एक विशेष आकर्षण श्री गुरुवयुरप्पन को चंदन का उपयोग करके उन्नी कन्नान, कृष्ण के दिव्य बाल रूप के रूप में सजाना था। मंदिर ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला भी आयोजित की। इसमें ग्रेटर ह्यूस्टन क्षेत्र के युवा कलाकारों ने प्रतिभा का प्रदर्शन किया। प्रदर्शनों में विभिन्न प्रकार के नृत्य, गायन और वाद्य संगीत शामिल थे, जो समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और कलात्मक विरासत को दर्शाते हैं।
इस आयोजन में विशेष अतिथियों ने पुजारियों के साथ अनुष्ठानों को पूरा किया और समुदाय की धार्मिक भावनाओं की सराहना की। कार्यक्रम का समापन महिलाओं द्वारा किए गए पारंपरिक लोक नृत्य के साथ हुआ।
अष्टमी रोहिणी (जन्माष्टमी) का खगोलीय, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और भक्तिभाव का महत्व है। यह भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाता है। मथुरा नरेश कंस के अत्याचार का अंत करने वाले दिव्य हस्तक्षेप को सम्मानित करता है। भाद्रपद की रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि पर मनाया जाने वाला यह त्योहार कृष्ण के जन्म, दिव्य प्रेम और धार्मिकता के अवतार होने का प्रतीक है।
भारत में मनाए जाने वाले उत्सवों में आम तौर पर उपवास, भक्ति गीत, नृत्य और कृष्ण के जीवन का पुनर्मूल्यांकन शामिल होता है। जैसे महाराष्ट्र में दही हांडी और केरल में उरियडी। इस दौरान मंदिरों को सजाया जाता है, पूजाएं की जाती हैं। कृष्ण के पसंदीदा पकवान तैयार किए जाते हैं। केरल में, उन्नी कन्नान का रूप कृष्ण की मासूमियत और आनंद का प्रतीक है। यह त्योहार कृष्ण के उपदेशों और दिव्य उपस्थिति का एक गहरा स्मरणपत्र है।
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