हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स यूके (HfHR UK) ने 'हिंदू मैनिफेस्टो' को खारिज किया है। HfHR UK का कहना है कि यह मैनिफेस्टो हिंदू धर्म के समावेशी, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील मूल्यों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। यह हिंदू राष्ट्रवाद से जुड़े संगठनों से जुड़ा है और यह बहुत चिंता का विषय है।
दरअसल, हाल ही में हुए ब्रिटेन के आम चुनावों से पहले वहां हिंदू मेनिफेस्टो जारी किया गया था। दावा किया गया था कि 32-पेज का ये दस्तावेज यूके में बसे हिंदुओं की जरूरतों पर बात करता है। इनमें ब्रिटेन में हिंदुओं पर बढ़ती हिंसा और गैर-बराबरी को रोकने के साथ-साथ यूके में मंदिरों की सुरक्षा की भी डिमांड की गई है। बीते कुछ समय में हिंदुओं के साथ कथित तौर पर हेट क्राइम की घटनाएं बढ़ीं हैं। यह मैनिफेस्टो, जो 2024 के ब्रिटिश सामान्य चुनाव के दौरान चर्चा में आया। राजनीतिक दृष्टिकोण के लगभग 25 उम्मीदवारों द्वारा समर्थित है।
HfHR UK राजनेताओं और राजनीतिक दलों से इस दस्तावेज और इसकी कई समस्याग्रस्त रणनीतियों से दूर रहने का आग्रह करता है, जो कि नस्लवाद विरोधी भाषा में छिपी हुई है। संस्था का कहना है कि मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित एक आंदोलन के रूप में हम इस प्रकार के समर्थन के पीछे के उद्देश्यों और इसकी जांच करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
HfHR UK का कहना है कि "हिंदू मैनिफेस्टो" और इससे जुड़े संगठनों के बारे में चिंताएं अच्छी तरह से दस्तावेज की गई हैं, जिसमें चैनल 4 द्वारा 2002 में एक रिपोर्ट भी शामिल है। यह सेवा इंटरनेशनल द्वारा संदिग्ध पद्धतियों को उजागर करता है। यह संगठन हिंदू स्वयंसेवक संघ (HSS) से गहराई से जुड़ा है। HfHR UK का दावा है कि जांच से पता चला कि कई दानदाताओं को इन कनेक्शनों के बारे में पता नहीं था, जिसके कारण संगठन का चैरिटी रजिस्ट्रेशन रद्द हो गया।
HfHR UK के मुताबिक इस्लामिक ह्यूमन राइट्स कमीशन (IHRC) की एक रिपोर्ट सहित विस्तृत दस्तावेजीकरण, मैनिफेस्टो और हिंदू राष्ट्रवाद के बीच के जुड़ावों को और स्पष्ट करता है। ये जुड़ाव चिंताजनक हैं और राजनेताओं को इस दस्तावेज और इसका समर्थन करने वाले संगठनों के साथ अपने संबंध पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
संस्था का कहना है कि HfHR UK विभिन्न समुदायों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व के महत्व को मान्यता देता है, लेकिन शुद्ध विश्वास में वास्तविक समुदाय प्रतिनिधित्व और लक्ष्यों वाले संगठनों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है। इन संगठनों से जुड़ने वाले कई व्यक्ति समुदाय और प्रतिनिधित्व की इच्छा से ऐसा करते हैं, लेकिन इन समूहों के कुल मिलाकर उद्देश्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना जरूरी है।
HfHR UK का कहना है कि 'हिंदू मैनिफेस्टो' में 'हिंदूफोबिया' को अपराध घोषित करने का प्रस्ताव मानवाधिकार अभियानकारियों के काम को खतरे में डाल सकते हैं। यह हानिकारक प्रथाओं और विचारधाराओं की आवश्यक आलोचना को दबा सकते हैं। भारत और यूके दोनों में हिंदू धर्म और इसके संस्थानों के कुछ पहलुओं को चुनौती देने की आवश्यकता है। मैनिफेस्टो में हिंदू धर्म के आलोचकों को खारिज करने के आह्वान से अल्पसंख्यक समुदायों के लिए बोलने वाली महत्वपूर्ण आवाजें खामोश हो सकती हैं।
हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स यूके का दावा है कि वह हिंदू धर्म के एक ऐसे दृष्टिकोण का समर्थन करता है जो समावेशी, शांतिपूर्ण और प्रेमपूर्ण हो। हम हिंदुत्व, जातिवाद, इस्लामोफोबिया, मिसोगाइनी, होमोफोबिया और सभी प्रकार के कट्टरपंथ को नकारते और निंदा करते हैं। हम राजनेताओं और मीडिया से उन आवाजों पर ध्यान देने का आग्रह करते हैं जो इन मूल्यों को बढ़ावा देती हैं और उन समर्थनों से बचने का आग्रह करते हैं जो इनके अनुरूप नहीं हैं। संस्था का कहना है कि हम सभी हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करने का दावा नहीं करते, क्योंकि हिंदू समुदाय विविध है और इसे एक ही दृष्टिकोण में बंद नहीं किया जा सकता।
दरअसल, हिंदू 'हिंदू मैनिफेस्टो' से जुड़े लोगों का कहना है कि ब्रिटेन में लगातार हिंदुओं के खिलाफ हेट क्राइम बढ़ रहा है। उन्हें धर्म के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है। खुद ब्रिटिश थिंक टैंक हेनरी जैक्सन सोसायटी ने पिछले साल दावा किया था कि ब्रिटेन में बसे मुस्लिम स्टूडेंट्स हिंदू धर्म को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां करते और उन्हें कंन्वर्ट होने को कहते हैं। साल 2023 में अमेरिकी रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन नेटवर्क कांटेजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (NCRI) ने दावा किया था कि बीते समय में तेजी से एंटी-हिंदू नैरेटिव तैयार हुआ और हिंदुओं पर हमले में थोड़ी-बहुत नहीं, लगभग हजार गुना तेजी आई। खासकर ब्रिटेन और अमेरिका में।
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