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हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्रवाद पर गलतफहमियां दूर करने के लिए HAF ने निकाली गाइड

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन का कहना है कि इस गाइड को लाने के पीछे का उद्देश्य पाठकों को हिंदुत्व की नागरिक विचारधारा की उत्पत्ति की बेहतर समझ प्रदान करना और आम गलतफहमियों को दूर करना है।

एचएएफ की गाइड में हिंदुत्व के इतिहास और अहम पड़ावों के बारे में भी जानकारी दी गई है। /

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्रवाद पर गाइड जारी की है। ये हिंदुत्व की उत्पत्ति, समर्थकों की इसमें आस्था के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान करती है। इसके अलावा हिंदुत्व को लेकर लगाए जाने वाले आरोपों और आम गलतफहमियों का भी समाधान पेश करती है। 

पिछले एक दशक में भारत के एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभार और खासतौर से 2024 के चुनावों के बाद पश्चिमी देशों को पत्रकारों के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इसके नेताओं के वैचारिक आधार को लेकर खासी रुचि बढ़ी है। भाजपा की नींव के मूल में हिंदुत्व है, जिसे आमतौर पर हिंदू राष्ट्रवाद भी कहा जाता है।

संगठन की तरफ से बताया गया कि इस गाइड को सामने लाने के पीछे उद्देश्य पाठकों को हिंदुत्व की नागरिक विचारधारा की उत्पत्ति की बेहतर समझ प्रदान करना है। हिंदुत्व भारतीय संस्कृति और सभ्यता की विशिष्ट बहुलवादी प्रकृति को दर्शाता है। पिछली शताब्दियों में भारतीय उपमहाद्वीप में उभरी विविध धार्मिक परंपराओं के बारे में बताता है। यह गाइड 'हिंदुत्व' शब्द के प्रयोग के करीब 150 वर्षों के इतिहास, उसके महत्वपूर्ण पड़ाव, उसके संगठनों, घटनाओं और उल्लेखनीय नेताओं की जानकारी प्रदान करती है। 

एचएएफ ने अपने बयान में कहा कि हिंदुत्व पर हालांकि पत्रकारों के लिए पहले से ही कई गाइड उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर ऐसे लोगों द्वारा लिखी गई हैं जो हिंदू राष्ट्रवाद को विरोधी नजरिए से देखते रहे हैं। वे अक्सर इसे भारतीय समाज की नकारात्मक शक्ति के रूप में चित्रित करते हैं। कुछ लोग हिंदुत्व को श्वेत वर्चस्व, ईसाई राष्ट्रवाद और यूरोपीय फासीवाद जैसी वर्चस्ववादी विचारधाराओं से भी जोड़ते हैं।

एचएएफ ने आगे कहा कि ये लेखक 'हिंदुत्व' या 'हिंदू राष्ट्रवादी' शब्दों का इस्तेमाल अक्सर ऐसे हिंदुओं पर अपमानजनक ठप्पा लगाने के लिए करते हैं जो भाजपा की कई नीतियों का समर्थन करते हैं और अपनी हिंदू पहचान को खुलकर जाहिर करते हैं। 

एचएएफ ने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका में हिंदू-अमेरिकी राजनेताओं को गलत तरीके से हिंदू वर्चस्ववादी के रूप में चित्रित किया जाता है। अमेरिका के प्रति इनकी वफादारी पर भी सवाल उठाए जाते है। अक्सर ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि वे अमेरिका-भारत के बीच मजबूत संबंधों का समर्थन करते हैं, भारत से आध्यात्मिक संबंध रखते हैं, खुले तौर पर अपनी हिंदू पहचान व्यक्त करते हैं और भाजपा की आलोचना पर ध्यान नहीं देते हैं। 

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