सितारे और अभिनेता... दोनों आमतौर पर अपने-अपने अलग संसार में रहते हैं। वे चीजों का मिश्रण नहीं करना चाहते लेकिन कई बार रेखाएं धुंधली हो जाती हैं। हालांकि सितारे के लिए अभिनेता में रूपांतरित होना आसान है लेकिन कई बार ऐसा होता है जब अभिनेता सितारे से आगे निकल जाता है। ऐसे ही एक प्रमुख सितारे हैं राजकुमार राव। मिस्टर एंड मिसेज माही, श्रीकांत जैसी फिल्मों की सराहना और स्त्री 2 के रिकॉर्ड तोड़ने के साथ राजकुमार राव एक बार फिर चर्चाओं में हैं। यहां जानिये उनके जीवन से जुड़े कुछ पहलू...
ताने मारने वालों के लिए कान बंद
सुनते हैं कि शबाना आजमी ने नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी जैसे लोगों से मिलने के बाद कहा था कि वे कभी बॉलीवुड अभिनेता नहीं बनेंगे। हालांकि शबाना ने वास्तव में राजकुमार राव के जीवन में कोई व्यक्तिगत रुचि नहीं ली लेकिन कई अन्य लोगों ने यही बात राजकुमार राव को लेकर दोहराई। यानी कि उनसे अपनी उम्मीदें बहुत अधिक न रखने के लिए कहा, खासकर कभी भी मुख्य अभिनेता न बनने के लिए। लेकिन जब उन्हें एलएसडी (दिबाकर बनर्जी की लव सेक्स और धोखा) मिली तो राजकुमार ने इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। हो सकता है कि यह वह रोमांस न हो जिसके साथ हर आदमी डेब्यू करने की उम्मीद करता हो, लेकिन यह उससे कहीं अधिक था जिसके लिए उसने प्रार्थना की थी। सबने ध्यान दिया। फिर रागिनी एमएमएस की चर्चा हुई। इसके बाद तलाश, गैंग्स ऑफ वासेपुर और फिर शाहिद जैसी फिल्मों के साथ राजकुमार मुख्यधारा के हीरो मटेरियल बन गये। वह भी अपनी पहली रिलीज से सिर्फ 2 साल में।
सफलता लगभग कभी भी उनकी नहीं थी
जैसा कि हमने कहा किसी ने भी मुख्य भूमिका के लिए उनका ऑडिशन नहीं लिया। उन्हें बताया गया कि उनके पास इसके लिए चेहरा नहीं था, न ही उनके पास सिक्स पैक एब्स थे जिन्हें उस समय लीड रोल के लिए एक शर्त माना जाता था। इसलिए राजकुमार ने केवल एक ही काम किया... जो वह कर सकते थे। यानी एक मौके के लिए बार-बार गुजारिश। कई लोगों को फोन किये। कई बार किये। वे हर उस कास्टिंग डायरेक्टर के संपर्क में रहे जिसके बारे में वह सोच सकते थे। फिर हाथ आई एलएसडी। गैंग्स ऑफ वासेपुर भी मिली। लेकिन शाहिद के लिए किसी का फोन न आया। पर वह उसमें चाहते थे अपनी भूमिका। तो एक दिन वह हंसल मेहता के कार्यालय पहुंचे और उनसे 2 मिनट का समय मांगा। उन 2 मिनटों ने ही उन्हें वह दिया जो सब कुछ था। जिस बच्चे के पिता एक साधारण सरकारी अधिकारी हैं, जिसका इंडस्ट्री में कोई रिश्तेदार नहीं है उसके लिए अभिनेता बनने का सपना देखना आसान नहीं है। राजकुमार कहते हैं- जब आपके पास कुछ नहीं है, तो आपके पास अहंकार भी नहीं हो सकता।
बड़े सपने देखने का कठिन परिश्रम
हालांकि राजकुमार की यात्रा संघर्षपूर्ण थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था जिसके लिए वह तैयार नहीं थे। पैसे की इतनी कमी थी कि राजकुमार को ऑडिशन के लिए गुड़गांव से दिल्ली तक 30 किलोमीटर तक साइकिल चलानी पड़ी। वह 2008 में एफटीआईआई से स्नातक के बाद मुंबई पहुंचे। अन्य लड़कों के साथ एक छोटा सा अपार्टमेंट किराए पर लिया, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वे किराए के लिए पर्याप्त पैसा कैसे जुटाएंगे। कई बार उनके बैंक में केवल 18 रुपये (यूएस $ 0.21) होते थे और उन्हें पता नहीं होता था कि उनकी अगली कमाई कहां से आएगी...
नाम भी बदला
राजकुमार राव का जन्म राजकुमार यादव के रूप में हुआ था-लेकिन चूंकि इंडस्ट्री में पहले से ही एक राजपाल यादव थे जो काफी लोकप्रिय थे, इसलिए राज ने अपना नाम बदलने का फैसला किया। यह उनकी मां थीं, जिन्होंने उन्हें राजकुमार के साथ राव जोड़ने का मशवरा दिया। अभिनेता और उनके परिवार का मानना है कि इससे बहुत फर्क पड़ा। यह देखते हुए कि राव और यादव दोनों उनके पारिवारिक नाम थे, इसलिए उन्हें किसी एक के साथ जाना ठीक लग रहा था। लेकिन एक बार फिर मां के कहने पर अंग्रेजी में नाम की स्पेलिंग में अतिरिक्त 'एम' जोड़ा। हर युवा की तरह राजकुमार भी अपनी मां से बेहद प्रेरित रहे हैं।
लव, सेट्स और नो धोखा
राजकुमार राव की कई फिल्में पाइपलाइन में हैं और वह बेहद सफल अभिनेता हैं। उनकी तुलना में उनकी पत्नी पत्रलेखा को उतनी सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने ऑन रिकॉर्ड यह कहा है कि कैसे राजकुमार उन्हें अपने बराबर का दर्जा देते हुए उनके साथ समान व्यवहार करने पर जोर देते हैं। जब पत्रलेखा के पिता का निधन हो गया तो राज ने घर की जिम्मेदारी संभाली और पत्नी को यह अहसास कभी नहीं होने दिया कि कोई चला गया है।
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