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अर्थव्यवस्था मजबूत, अगले दो वर्षों में भारत की GDP 6.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी : IMF

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि भारत की जीडीपी अगले दो वर्षों में 6.5% की दर से बढ़ेगी। यह अनुमान मजबूत घरेलू खपत और स्थिर आर्थिक स्थिति पर आधारित है। साथ ही IMF ने सरकार को वित्तीय अनुशासन और संरचनात्मक सुधारों पर जोर देने की सलाह दी है।

प्रतीकात्मक तस्वीर / Pexels

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने गुरुवार को बताया कि अगले दो वित्तीय साल, यानी 2024-25 और 2025-26 में, भारत की GDP 6.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी। IMF के मुताबिक, देश की मजबूत अर्थव्यवस्था और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी की वजह से लोगों की खरीदारी बढ़ रही है, जिससे GDP में तेजी देखने को मिलेगी। 

IMF का कहना है कि महंगाई धीरे-धीरे कम होगी, क्योंकि खाने-पीने के सामान की कीमतों में उछाल कम हो रहा है। वैसे, 2025-26 में देश का करंट अकाउंट डेफिसिट GDP का 1.3 फीसदी रहेगा, जो थोड़ा बढ़ेगा पर ज्यादा चिंता की बात नहीं है।

IMF ने ये भी कहा कि भारत का फाइनेंस सेक्टर मजबूत है, कंपनियों की हालत अच्छी है और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर भी कमाल का है। इस सबकी वजह से भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले समय में लगातार तरक्की करेगी और गरीबों की जिंदगी भी बेहतर होगी।

अपनी रिपोर्ट में IMF ने बताया कि महंगाई थोड़ी ऊपर नीचे हुई है। लेकिन इसके साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था बहुत जबरदस्त तरक्की कर रही है। 2024-25 के पहले छह महीनों में GDP 6 फीसदी बढ़ी है। हालांकि, खाने-पीने के सामान की कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह से महंगाई में थोड़ी अस्थिरता देखने को मिली है। 

IMF के मुताबिक, भारत का फाइनेंस सेक्टर बहुत मजबूत है और बुरे कर्जाें (Non-Performing Loans) की तदाद कई सालों में सबसे कम है। सरकार अपना खर्चा भी कम कर रही है और देश का राजकोषीय घाटा भी कंट्रोल में है, क्योंकि सेवाओं के निर्यात में काफी इजाफा हुआ है।

लेकिन IMF ने ये भी चेतावनी दी है कि कुछ खतरे भी मौजूद हैं। वैश्विक चुनौतियां बढ़ने से विदेशों से मांग कम हो सकती है। इसी तरह, क्षेत्रीय युद्धों से पेट्रोल के दामों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ेगा।

देश के अंदर, अगर लोगों की आमदनी ज्यादा नहीं बढ़ी, तो खरीदारी और निवेश उतना नहीं बढ़ पाएगा जितना उम्मीद है। मौसम की मारामत से किसानी प्रभावित हो सकती है, जिससे खाने-पीने के सामान महंगे हो सकते हैं और गाँवों में खरीदारी कम हो सकती है। लेकिन अगर सरकार सुधारों पर जोर देगी, तो निजी निवेश और रोजगार बढ़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था में और ज्यादा तरक्की होगी।

IMF के अधिकारियों ने कहा कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था का फायदा उठाकर जरूरी सुधार किए जा सकते हैं। इससे भारत 2047 तक एक विकसित देश बनने के अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है। IMF के अधिकारियों ने सरकार की किफायती नीति की तारीफ भी की और कहा कि उन्होंने देश के कर्ज पर एक लक्ष्य तय किया है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

IMF के मुताबिक, देश की विकास और सामाजिक जरूरतों को देखते हुए आने वाले समय में सरकार को अपना खर्चा धीरे-धीरे कम करना चाहिए। इससे सरकार के पास पैसे जमा हो जाएंगे, कर्ज का बोझ़ कम होगा और इनकी किश्तों का भुगतान आसान होगा। IMF ने सुझाव दिया है कि सरकार को देश के अंदर से अधिक पैसे इकट्ठा करने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, सरकार को अपना खर्चा भी सोच-समझकर करना चाहिए, जैसे कि सब्सिडी का बेहतर इस्तेमाल करना। इससे सरकार के पास इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्चा करने के लिए पैसे मिल पाएंगे।

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