भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता, उच्च बेरोजगारी दर और महंगाई अब भी प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं। यह निष्कर्ष अमेरिकी कांग्रेस के अनुसंधान विंग कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है।
नई दिल्ली में हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों के बाद CRS की रिपोर्ट में बताया गया कि भाजपा वर्तमान में 13 राज्यों में सत्ता में है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगी दलों के मुख्यमंत्री पांच अन्य राज्यों में सरकार चला रहे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी तीन राज्यों में सत्ता में है, जबकि उसके INDIA गठबंधन के सहयोगी पांच अन्य राज्यों की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
CRS रिपोर्ट दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ एलन क्रॉनस्टैड द्वारा तैयार की गई है। इसमें कहा गया कि भाजपा और कांग्रेस ही भारत की दो वास्तविक राष्ट्रीय पार्टियां हैं। 2024 के आम चुनावों में भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर 50% से अधिक मत प्राप्त किए, जैसा कि 2019 के चुनावों में हुआ था। भाजपा ने कुल 640 मिलियन (64 करोड़) मतों में से 37% वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस को 21% वोट मिले। इस बार भी मतदान प्रतिशत लगभग 67% रहा।
CRS अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र और द्विदलीय अनुसंधान इकाई है, जो समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करती है ताकि अमेरिकी सांसदों को नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिल सके। हालांकि, इसकी रिपोर्टें अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक राय नहीं मानी जातीं। रिपोर्ट में कहा गया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी लंबे समय से आर्थिक विकास और सुशासन पर जोर देती रही है, लेकिन उनके 10 वर्षों के कार्यकाल का रिकॉर्ड मिश्रित रहा है।"
CRS ने यह भी बताया कि सरकार ने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए निवेश किया है और आर्थिक विकास ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि भारत में असमानता बढ़ रही है और बेरोजगारी तथा महंगाई की ऊंची दरें चिंता का विषय बनी हुई हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में कुछ विशेषज्ञों के हवाले से यह चिंता व्यक्त की गई कि हिंदू बहुसंख्यकवाद भारत के अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति और अधिकारों के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
रिपोर्ट में 2024 के आम चुनावों के नतीजों का विश्लेषण करते हुए कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 240 सीटें जीतकर बहुमत से कम संख्या में सीटें हासिल की। हालांकि, करोड़ों मतदाताओं ने मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाए रखने के लिए वोट किया, लेकिन पार्टी का पूर्ण बहुमत हासिल न कर पाना भाजपा और मोदी के लिए एक अप्रत्याशित झटका माना जा रहा है।
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