अमेरिका में भारतीय मूल की प्रोफेसर श्रिया श्रीनिवासन को हार्वर्ड से फंडिंग हासिल करने में कामयाबी मिली है। श्रिया जॉन ए पॉलसन हार्वर्ड स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उन्हें हार्वर्ड ग्रिड एक्सेलेरेटर से यह फंडिंग वियरेबल स्पास्टिसिटी मैनेजमेंट एंड मिटिगेशन प्रोजेक्ट के लिए प्राप्त हुई है।
उनके शोध का उद्देश्य ऐसे लोगों के लिए समाधान तैयार करना है, जिनकी मांसपेशियां सख्त और संकुचित हो जाती हैं। इसकी वजह से उन्हें चलने-फिरने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उनकी दूसरों पर निर्भरता बढ़ जाती है और हमेशा दर्द झेलना पड़ता है। दुनिया में 1.2 करोड़ से अधिक लोगों को ये समस्या होती है।
श्रीनिवासन की टीम वियरेबल एडैप्टिव वाइब्रोटैक्टाइल ब्रेसलेट (WAVelet) तैयार करने में जुटी है। यह एक ब्रैसलेट होता है, जिसे पहनने पर मांसपेशियों को स्टिमुलेट किया जा सकता है। WAVelet मौजूदा उपायों से ज्यादा किफायती और कम रिस्क वाला है। वर्तमान में जो उपाय उपलब्ध हैं, वह बहुत भारी होते हैं और उनका फायदा भी कम होता है।
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की छात्रा रहीं श्रीनिवासन ने केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। उन्होंने हार्वर्ड-एमआईटी हेल्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी से मेडिकल इंजीनियरिंग और मेडिकल फिजिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल की है। उन्होंने बायो हाइब्रिड ऑर्गन्स एंड न्यूरोप्रोस्थेटिक्स (BIONIC) लैब की भी स्थापना की है। उन्हें डेल्सिस अवॉर्ड और लेमेल्सन-एमआईटी छात्र पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
हार्वर्ड ग्रिड के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर पॉल हेयर ने एक बयान में कहा कि हमने छह प्रोजेक्टों को चुना है। हमें इनमें काफी संभावनाएं नजर आई हैं। हमें उम्मीद है कि इनमें से कई प्रोजेक्ट अगले एक साल में तैयार हो जाएंगे और वैश्विक स्तर पर मानवीय परिस्थितियों में महत्वपूर्ण सुधार लाएंगे। हमारी भूमिका अब प्रोजेक्टों के चयन से ऊपर उठकर इन्हें अपने उद्देश्यों में कामयाब बनाने के लिए समर्थन प्रदान करने की हो गई है।
बता दें कि हार्वर्ड ग्रिड एक्सीलरेटर हार्वर्ड के टेक्नोलोजी डेवलपमेंट ऑफिसऔर हार्वर्ड जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज का एक गठबंधन है। इसका उद्देश्य उच्च क्षमता वाले विज्ञान एवं इंजीनियरिंग प्रोजेक्टों को स्टार्टअप या व्यावसायिक अवसरों में बदलना है। इससे मिली फंडिंग और सपोर्ट शोधकर्ताओं को उनकी तकनीक को लैब से बाजार तक ले जाने में मदद करता है।
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