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निकी हेली को वॉशिंगटन डीसी में मिली पहली प्राइमरी कामयाबी

निकी हेली शुरू से ही कहती रही हैं कि वह चुनाव मैदान से हटने वाली नहीं हैं। कम से कम 5 मार्च के सुपर ट्यूजडे तक तो नहीं, जब 15 राज्यों और अमेरिकन समोआ में इवेंट होंगे।

वॉशिंगटन डीसी प्राइमरी में निकी हेली ने डोनाल्ड ट्रम्प को 30 पॉइंट्स से मात दी है। / X @NikkiHaley

अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन उम्मीदवारी की दावेदार निकी हेली ने वॉशिंगटन डीसी प्राइमरी में अहम जीत हासिल की है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 30 पॉइंट्स से मात दी है। जीत के लिए तरस रही निकी हेली को इसकी बेहद जरूरत थी।  

ग्रैंड ओल्ड पार्टी के डेलीगेट्स जिनमें से ज्यादातर राजनीति या सरकार में हैं, ने हेली को 33 पर्सेंट के मुकाबले 63 फीसदी मार्जिन दिया। हेली को जिले के सभी 19 डेलीगेट्स का साथ मिला है। अभी तक ट्रम्प के पास 247 डेलीगेट्स हैं जबकि हेली को महज 43 का ही सहयोग मिला है। 

रविवार को हुए इस मुकाबले के नतीजों का कई हलकों में पहले ही अंदाजा लगाया जा रहा था। यही वह इकलौती जगह थी, जहां पर प्राइमरी चुनाव में निकी हेली आसान जीत दर्ज कर सकती थीं। ट्रम्प के लिए यह चुनाव 2016 में भी आसान नहीं रहा था। उस वक्त उन्हें महज 14 फीसदी वोट मिले थे। डीसी में इस बार मतदान का प्रतिशत भी काफी कम रहा। सिर्फ 2000 रिपब्लिकन डेलीगेट्स ही डाउनटाउन के होटल मेडीसन में बनाए गए एकमात्र वोटिंग सेंटर में वोट डालने के लिए पहुंचे। हालांकि इसे लेकर हैरानी नहीं है। हाल के चुनावों में यहां पर सबसे ज्यादा मतदान 2008 में हुआ था, जब जॉन मैक्केन चुनावी मैदान में थे। तब 6000 डेलीगेट्स अपने मताधिकार का इस्तेमाल करन के लिए आए थे। 

निकी हेली शुरू से ही कहती रही हैं कि वह चुनाव मैदान से हटने वाली नहीं हैं। कम से कम 5 मार्च के सुपर ट्यूजडे तक तो नहीं, जब 15 राज्यों और अमेरिकन समोआ में इवेंट होंगे। राजनीतिक विश्लेषकों और मीडिया पंडितों का अनुमान है कि इस चुनाव में भी हेली को बड़ी निराशा हाथ लग सकती है कि क्योंकि इनमें से दक्षिण के कई राज्यों में ट्रम्प का जनाधार काफी मजबूत है। 

कैलीफोर्निया और टेक्सस जैसे राज्यों में डेलीगेट्स की भारी संख्या है। यही वजह है कि हेली टेक्सस पर ज्यादा जोर लगा रही हैं। लेकिन सुपर ट्यूजडे और उससे आगे हेली का रास्ता आसान नहीं दिख रहा है क्योंकि उन्हें जमीनी हकीकत का सामना करना पड़ सकता है। इनमें से ज्यादातर राज्य स्वतंत्र डेलीगेट्स को वोट डालने की इजाजत नहीं देते, जो साउथ कैरोलीना की पूर्व गवर्नर निकी हेली के भविष्य के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। हेली को इस मुकाम तक पहुंचाने में निर्दलीय डेलीगेट्स का अहम योगदान रहा है। 'उन्हें जीत के लिए रिपब्लिकन वोट चाहिए' का मंत्र अब तक कारगर नहीं रहा है। 

एक अनुमान ये भी है कि निकी हेली इतनी जल्दी हार नहीं मानेंगी। सुपर ट्यूजडे के बाद भी वह अपनी लड़ाई 19 मार्च तक जारी रख सकती हैं, जब एरिजोना, फ्लोरिडा, इलिनोइस, कंसास और ओहाया जैसे राज्यों में प्राइमरी चुनाव होंगे। रिपब्लिकन उम्मीदवारी हासिल करने के लिए 1215 डेलीगेट्स का समर्थन चाहिए। उम्मीद है, उस दिन यह मैजिक नंबर मुट्ठी में करने में कामयाबी मिल जाएगी। 

लेखक के बारे में
लेखक श्रीधर कृष्णास्वामी न्यू इंडिया अब्रॉड के एडिटर इन चीफ हैं। वह वॉशिंगटन डीसी में द हिंदू और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के स्पेशल कॉरेस्पॉन्डेंट रह चुके हैं। उन्हें 1996, 2000, 2004 और 2008 के राष्ट्रपति चुनावों की विस्तृत कवरेज का अनुभव है। 

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