काटो इंस्टीट्यूट में इमिग्रेशन स्टडीज के निदेशक डेविड जे. बियर ने USCIS की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए अपने ब्लॉग में बताया कि 2005 से 2023 के बीच एच-1बी पेशेवरों ने 10 लाख से अधिक बार (1,090,890) नौकरियां बदलीं।
H-1B वीजा धारकों के बीच नौकरियां बदलने का ट्रेंड बढ़ रहा है। 2005 में लगभग 24,000 एच1-बी वीजा धारकों ने अपनी नौकरी बदली थीं, 2022 में यह ट्रेंड बढ़कर रिकॉर्ड 130,576 तक पहुंच गया जो कि पांच गुना से भी ज्यादा है। साल 2023 में 117,153 वर्करों ने अपनी नौकरियों में स्विच किया।
एच-1बी कर्मियों में नौकरी बदलने का ट्रेंड बढ़ने के पीछे बियर पॉलिसी एडजस्टमेंट और एच-1बी कर्मियों के बढ़ती संख्या समेत कई कारकों को जिम्मेदार मानते हैं। सिकुड़ते लेबर मार्केट ने भी नौकरियां बदलने के लिए प्रेरित किया है।
इसके अलावा अमेरिका में एच-1बी वीजा कर्मियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कंपनियों के पास प्रतिभाओं का बड़ा पूल तैयार हो रहा है। 2014 के बाद से हर साल एच-1बी वीजा की सीमा लगातार बढ़ रही है। ऐसे में नियोक्ता कंपनियां ऐसे एच-1बी कर्मचारियों को निशाना बनाना चाहती हैं जो पहले से ही अमेरिका में काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 2017 में नीतिगत बदलाव के जरिए एच-1बी कर्मियों को नई नौकरी पाने के लिए रियायत अवधि बढ़ाकर 60 दिन कर दी गई थी। साल 2021 में ग्रीन कार्ड आवेदनों में बढ़ोतरी ने भी नौकरियां बदलने की प्रवृत्ति को प्रभावित किया। हालांकि 2022 में ग्रीन कार्ड के लिए आवेदनों की संख्या में गिरावट आई।
बियर एच-1बी पेशेवरों के सामने लगातार चुनौतियों को भी रेखांकित करते हैं। दूसरी कंपनियों से एच-1बी कर्मचारियों को अपने यहां काम पर रखने वाले नए नियोक्ताओं को पर्याप्त शुल्क देना पड़ता है। ग्रीन कार्ड प्रोसेसिंग में बैकलॉग खासकर भारतीय के लिए लंबा इंतजार भी पेशेवरों को प्रभावित करता है।
बियर का प्रस्ताव है कि बार बार एच-1बी रिन्यू कराने के बजाय एक निश्चित अवधि के बाद पेशवरों को अपने आप ग्रीन कार्ड प्रदान करना और लगातार बढ़ती जा रही बैकलॉग की समस्या का समाधान करने से कुछ राहत मिल सकती है।
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