पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट प्रकरण को लेकर भारतीय दल में मायूसी छा गई है। फोगाट को 50 किलो वर्ग में कुश्ती के फाइनल में अमेरिकी पहलवान सारा एन हिल्डेब्रांट से भिड़ंत से ऐन पहले अयोग्य घोषित कर दिया गया था क्योंकि उनका वजन तय लिमिट से 100 ग्राम अधिक था।
स्वर्ण पदक की मजबूत उम्मीद खत्म होने से भारतीय खेमे का मनोबल गिरा नजर आ रहा है। फैसले की समीक्षा के लिए भारत ने अपील की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कुश्ती प्रतियोगिता की देखरेख कर रही तकनीकी समिति का भी यही फैसला था। विनेश की अयोग्यता ने न सिर्फ भारतीय कैंप बल्कि अन्य देशों को खिलाड़ियों को भी हैरान कर दिया है।
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष ओलंपियन पीटी उषा बाद में विनेश फोगाट से मिलने गईं। उन्हें सांत्वना देते हुए दोहराया कि पूरा भारत देश उनके साथ है। पीटी उषा ने उम्मीद जताई कि एक मजबूत इंसान और एक महान खिलाड़ी के रूप में वह इस दुखद घटना से उबर जाएंगी और दोगुनी ताकत व प्रतिबद्धता के साथ अपना उत्कृष्ट खेल दिखाएंगी।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि सेमीफाइनल में क्यूबा की पहलवान लोपेज को हराने के बाद विनेश को महसूस हुआ कि दिन में उनका वजन बढ़ गया है। पूरे दिन में उन्होंने तीन कड़े मुकाबले खेले थे। इनमें पिछली विश्व एवं ओलंपिक चैंपियन जापान की युई सुसाकी भी शामिल थीं।
बताया गया कि विनेश ने 50 किलो वर्ग में कुश्ती के योग्य बने रहने के लिए अपना अतिरिक्त वजन कम करने की भरपूर कोशिश की, फिर भी उनका वजन तयशुदा वजन से 100 ग्राम अधिक था। वह पूरी तरह थकी हुई नजर आ रही थी। उन्हें तत्काल मेडिकल मदद दी गई।
इस चौंकाने वाले प्रकरण में कई सवालों अनुत्तरित रह गए हैं क्योंकि भारतीय दल ने आधिकारिक विज्ञप्ति में मीडिया से विनेश फोगाट की गोपनीयता का सम्मान करने का अनुरोध किया है।
केवल मेडिकल एक्सपर्ट या डायटिशियन ही इस सवाल का सही जवाब दे सकते हैं कि क्या कुश्ती के तीन कड़े मुकाबलों में हिस्सा लेने के 12 घंटे के अंदर किसी खिलाड़ी का 2.8 किलो वजन बढ़ सकता है? और क्या शारीरिक और मानसिक बर्नआउट करके वही इंसान 24 घंटे पूरा होने से पहले 2.8 किलो में से 2.7 किलो वजन घटा सकता है?
इन सवालों के जवाब चौंकाने वाले हो सकते हैं। इस प्रकरण ने हर किसी को हैरान कर दिया है। कई ओलंपियन, वैश्विक सितारे और खेल विशेषज्ञ ओलंपिक जैसी प्रतियोगिताओं के मौजूदा नियम-कानूनों को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
ऐसा कहा जा रहा है कि प्रतियोगिता के पहले दिन लिए गए वजन के 24 घंटे के भीतर एक किलो अतिरिक्त वजन की अनुमति देने के लिए नियमों में बदलाव किया जा सकता है। इतना ही नहीं, खिलाड़ियों को ऐसे मैच के परिणामों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए जिसके लिए उन्हें पहले तकनीकी रूप से फिट और पात्र घोषित किया जा चुका था।
पेरिस ओलंपिक में मुक्केबाजी और कुश्ती जैसे कुछ मुकाबलों में जजों और रेफरी को अपने विवेक के आधार पर बड़ा फैसला करने की अनुमति को लेकर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति विवादों के घेरे में रही हैं। विनेश फोगाट मामले ने एक बार फिर से इस मुद्दे को लेकर बहस छेड़ दी है।
विनेश प्रकरण का असर भारतीय शिविर में तुरंत महसूस किया गया। विनेश की पसंदीदा स्पर्धा 53 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा कर रही पहलवान अंतिम पंघाल तुर्की की प्रतिद्वंद्वी ज़ेनेप टेटगिल से बिना किसी चुनौती के हार गईं।
इसका प्रभाव अन्य खेलों में भी देखा गया। भारतीय महिला टेबल टेनिस टीम अपना क्वार्टर फाइनल मैच जर्मनी से 1-3 से हार गई। भाला फेंक में अन्नू रानी 55.81 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ अंतिम स्थान पर रहीं। वह ग्रुप लीडर मारिया आंद्रेजिक से लगभग 10 मीटर पीछे रहीं, जिनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 65.52 मीटर था।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login