अमेरिका में एक अपराधी जिसे 2010 में भारतीय मूल की कुलवंत सूफी की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। 17 जुलाई को प्राकृतिक कारणों से उसकी मौत हो गई। ग्लेन वेड जेनिंग्स नाम का यह हत्यारा कैलिफोर्निया की सैन क्वेंटिन राज्य जेल में अपनी सजा काट रहा था। कैलिफोर्निया के सुधार और पुनर्वास विभाग के मुताबिक, रात की सुरक्षा जांच के दौरान उनकी सेल में उन्हें बेहोश पाया गया। कर्मचारियों ने एम्बुलेंस बुलाई। सोलानो काउंटी के कोरोनर ने सुबह 3:18 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया। जेनिंग्स 71 साल का था।
2 जून, 2004 को जेनिंग्स दक्षिण सैक्रामेंटो के फ्लोरिन रोड पर DK डिस्काउंट लिकर स्टोर में घुसा और स्टोर की ओनर कुलवंत सूफी को चाकू से हमला करके घायल कर दिया। उसने खुद को कंबल से ढंक लिया था जिससे दुकान के सुरक्षा कैमरों में उसका चेहरा न दिखाई दे। जब कुलवंत ने उसे रोकने की कोशिश की, तो उसने उन पर ताबड़तोड़ चाकू से हमला कर दिया। इसके बाद लगभग $100 लेकर दुकान से फरार हो गया।
कुलवंत वहीं पर गिर पड़ीं और मौके पर ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। सूफी की मौत के समय उनकी उम्र 61 साल थी। कुलवंत के पति चानन सूफी ने 2004 में इस संवाददाता को बताया था कि 'मेरी पूरी जिंदगी खत्म हो गई।' सूफी के तीन बड़े बच्चे हैं। पुलिस को बहुत सारे सबूत मिले जो जेनिंग्स को सूफी की हत्या से जोड़ते थे। जांचकर्ताओं ने जेनिंग्स के घर के पास एक खाली प्लॉट में दुकान का रजिस्टर पाया। उनकी कार में कंबल से मेल खाते रेशे मिले और फोरेंसिक वैज्ञानिकों ने उनकी शर्ट से सूफी का डीएनए निकाला। वारदात में इस्तेमाल चाकू जेनिंग्स के घर में रखे चाकू के एक सेट से मेल खाता था।
6 नवंबर, 2010 को हत्यारे जेनिंग्स को मौत की सजा सुनाई गई थी। कैलिफोर्निया में अभी भी मौत की सजा का कानून है, लेकिन यह लागू नहीं हो रहा है। कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजम ने 2019 में मौत की सजा पर रोक लगा दी थी। वर्तमान में कैलिफोर्निया में मौत की सजा पाए हुए 650 कैदी हैं, जिनमें से ज्यादातर सैन क्वेंटिन में अपनी सजा काट रहे हैं।
कुलवंत की हत्या से पहले जेनिंग्स का लंबा आपराधिक रिकॉर्ड था। उसे 28 जनवरी, 1977 को पहली डकैती के लिए जीवन भर की सजा सुनाई गई थी। लेकिन तीन साल से भी कम समय बाद 29 अप्रैल, 1980 को उसे पैरोल पर रिहा कर दिया गया। उसे अगली बार 29 अक्टूबर, 1982 को सशस्त्र डकैती के लिए 35 साल की सजा सुनाई गई। लेकिन 2001 में पैरोल पर रिहा कर दिया गया। इसके ठीक तीन महीने बाद जेनिंग्स ने कुलवंत की हत्या कर दी।
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