जब रॉबर्ट कैनेडी जूनियर ने निकोल शानाहन को उपराष्ट्रपति के रूप में चुना तो उनके दिमाग में सभी 50 राज्यों में मतदान में शामिल होने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के अलावा और भी बहुत कुछ रहा होगा। मगर उनका ध्यान अपने साथी के बैंक खाते पर तो नहीं रहा होगा। प्राइमरीज के दौरान वह कहते रहे हैं कि उनकी उम्मीदवारी का उद्देश्य व्यक्तित्व और नीतियों के मोर्चे पर राष्ट्रपति जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रम्प के लिए एक गंभीर विकल्प प्रदान करना था।
शुरू से ही ट्रम्प अभियान कैनेडी जूनियर का मुखर आलोचक रहा है और शानाहन के साथ उनकी जुगलबंदी ने टीम को उन्हें एक कट्टरपंथी डेमोक्रेट का लेबल देकर थोड़ा और परेशान कर दिया है। कई बार ट्रम्पवादियों ने कैनेडी जूनियर पर अतीत में चुनाव से इनकार करने का भी आरोप लगाया है। मगर एक मिनट के लिए वह यह भूल गए कि चुनाव से इनकार करने और इनकार करने वालों के साथ-साथ कूकू साजिश के सिद्धांतों की 'प्लेबुक' उनके दरवाजे पर शुरू हुई थी।
चुनाव प्रक्रिया की गहमागहमी में बहुत सी बातें कही जाती हैं लेकिन ट्रम्प और बाइडन दोनों के अभियानों का अंतर्निहित डर सबके सामने है। अभी तो बाइडन अभियान अपेक्षाकृत शांत रहा है लेकिन इससे कैनेडी जूनियर फैक्टर क्या कर सकता है इसकी अनदेखी आशंका छिपी नहीं है। विशेष रूप से कुछ उलटफेर करने वाले राज्यों में जहां सत्ताधारी को पिछली बार मामूली अंतर से जीत मिली थी।
कैनेडी परिवार के कई सदस्य कैनेडी जूनियर के डेमोक्रेटिक पदाधिकारी से मुकाबला करने के खिलाफ हैं। यदि परिवार में बहुमत उनके भाई, चचेरे भाई या भतीजे के खिलाफ है तो तथ्य यह भी है कि अपनी नीतिगत प्राथमिकताओं के अलावा कैनेडी जूनियर एक तरह से अपने पिता, जो एक अटॉर्नी जनरल थे, का दर्जा पाने के हकदार हैं। 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के दौरान निर्णय लेने वाले वह एक प्रमुख व्यक्ति थे और 1968 में क्रूरतापूर्वक मारे जाने से पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी थे। इसके अलावा कैनेडी जूनियर वैध रूप से अपने दो चाचाओं की विरासत पर भरोसा कर सकते हैं। यानी पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी और डीन ऑफ लिबरल, एडवर्ड कैनेडी, जिनका सामना करने से दक्षिणपंथी रिपब्लिकन अभी भी झिझकते थे।
बहरहाल, अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कैनेडी जूनियर से किसे अधिक डरना है मगर ट्रम्प और बाइडन दोनों की ही रातों की नींद उड़ना तय है। आमफहम बात और सीधा सा सच तो यही है कि लगभग तीन-चौथाई अमेरिकी 2020 का दंगल दोबारा नहीं देखना चाहते। किंतु अनिच्छा से वे वही देखने के लिए मजबूर हैं। हो सकता है कि कैनेडी जूनियर चुनावी आंकड़ों के लिहाज से ट्रम्प और बाइडन से पार न पा सकें लेकिन उनके पास इतने नंबर तो हैं ही कि दोनों में घबराहट पैदा कर सकें। 2024 और उससे आगे के लिए कैनेडी जूनियर का यही संदेश होगा।
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