भारतीय-अमेरिकी सीईओ और सिलिकॉन वैली सेंट्रल चैंबर ऑफ कॉमर्स की प्रेसिडेंट हरबीर के. भाटिया ने कहा है कि भारत और भारतीय मूल के लोग सिलिकॉन वैली के सबसे प्रमुख लीडर्स में से एक हैं और ये सब अपनी मेहनत, ईमानदारी और इनोवेशन के दम पर इस मुकाम तक पहुंचे हैं। खास बात यह है कि इतना सबकुछ हासिल करके भी अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं।
हरबीर भाटिया ने न्यू इंडिया अब्रॉड से विशेष बातचीत के दौरान भारतीय-अमेरिकियों के योगदान को लेकर कहा कि सिलिकॉन वैली में लगभग 66 फीसदी अल्पसंख्यक हैं। सिलिकॉन वैली एक बहुत ही अनोखा हब है। यहां 40 प्रतिशत से अधिक लोग एशिया से हैं। इसमें भारत, नेपाल, पाकिस्तान व श्रीलंका से लेकर कोरिया, चीन और जापान जैसे पूर्वी एशियाई देशों के लोग शामिल हैं। इसलिए यहां पर हमारी आबादी बहुत विविध है। लोग इस बात पर हैरान हो जाते हैं कि इतना विविध होने के बावजूद हम इतना कैसे फल-फूल सकते हैं।
सीईओ हरबीर भाटिया ने कहा कि भारत सिलिकॉन वैली में इनोवेशन के सबसे बड़े लीडर्स में से एक है। एक समय रहा है, जब सिलिकॉन वैली के 40 फीसदी सीईओ या संस्थापक दक्षिण एशिया या भारत से थे। भाटिया ने जोर देकर कहा कि कौन किस धर्म को मानता है या किस समुदाय का है, इसकी यहां पर कोई भूमिका नहीं है। यहां आपको अपने मन का काम करने का मौका मिलता है, रचनात्मक होने का अवसर मिलता है। आपको वह बनने का मौका मिलता है जो आप बनना चाहते हैं। इसमें आपकी त्वचा का रंग, आपका धर्म, जाति, संस्कृति जैसी चीजें मायने नहीं रखतीं।
भाटिया ने कहा कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल जैसी दिग्गज कंपनियों में भारतीय मूल के अमेरिकी सीनियर पदों पर हैं। यह टेक इंडस्ट्री में उनके योगदान और मूल्यों को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सिलिकॉन वैली में कड़ी मेहनत, ईमानदारी और सफलता को महत्व दिया जाता है। मनोरंजन, स्वास्थ्य, आतिथ्य और कई अन्य तमाम क्षेत्रों में भारतीय-अमेरिकियों शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप हमें कुछ भी दे दें, हम उसमें आगे बढ़कर दिखा सकते हैं।
भाटिया ने कहा कि सिलिकॉन वैली और भारत के बीच बहुआयामी संबंध हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत एक प्रमुख आउटसोर्सिंग डेस्टिनेशन ही नहीं, टेक कंपनियों के लिए बेहतरीन प्रतिभाओं का स्रोत भी है। उन्होंने कहा कि सिलिकॉन वैली के इनोवेशन इकोसिस्टम को भारतीय-अमेरिकियों के योगदान से महत्वपूर्ण आकार मिला है।
उन्होंने कहा कि गूगल हो या एनवीडिया का कैंपस, इंटेल हो या फेसबुक का कैंपस, सब जगह एक इंडियन फूड स्टेशन है। ऐसा क्यों है? ये सिर्फ भारतीयों के लिए नहीं हैं। हम अपनी संस्कृति को भी बढ़ावा दे रहे हैं और लोग इसे पसंद करते हैं। हम कैलिफोर्निया की जिंदगी में रंग भर रहे हैं।
भाटिया ने कहा कि भारत ने वैश्विक स्तर पर बराबरी का खिलाड़ी बनने के लिए खुलेपन और संसाधनों का फायदा उठाया है और पिछले एक दशक में विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण तरक्की की है। हमारे पास दिमाग हमेशा से था, हमारे पास संसाधन भी हमेशा रहे हैं।
भारत के विकास में भारतीय-अमेरिकी किस तरह योगदान कर सकते हैं, इस सवाल पर भाटिया ने कहा कि कई भारतीय-अमेरिकी भारत से बेहद जुड़ाव महसूस करते हैं। शिक्षा लोगों को सशक्त बनाने और विकास में योगदान देने में अहम भूमिका निभाती है। शिक्षा के जरिए हम ऐसा कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा लोगों को अपनी समस्याओं का समाधान करने की ताकत देती है। आपको आत्मनिर्भर बनाती है। मेरा मानना है कि यही वह चीज है, जहां हम उनकी मदद कर सकते हैं। हमें उन्हें संसाधन उपलब्ध कराने होंगे ताकि वे खुद आगे बढ़कर वह सब हासिल कर सकें, जो वे चाहते हैं।
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