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गिरिधरन शिवरामन बने ऑस्ट्रेलिया के नस्लीय भेदभाव आयुक्त, करेंगे ये काम

गिरिधरन शिवरामन की नियुक्ति की घोषणा अटॉर्नी जनरल मार्क ड्रेफस केसी द्वारा की गई। शिवरामन की नई भूमिका 4 मार्च से शुरू होगी।

शिवरामन इस समय बहुसांस्कृतिक ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष हैं।  / X @AusHumanRights

ऑस्ट्रेलिया के मानवाधिकार आयोग (AHRC) ने भारतीय मूल के गिरिधरन शिवरामन को नया नस्लीय भेदभाव आयुक्त नियुक्त किया है। शिवरामन इस समय बहुसांस्कृतिक ऑस्ट्रेलिया (Multicultural Australia) के अध्यक्ष हैं। 

गिरिधरन शिवरामन की नियुक्ति की घोषणा अटॉर्नी जनरल मार्क ड्रेफस केसी द्वारा की गई। शिवरामन की नई भूमिका 4 मार्च से शुरू होगी। ऑस्ट्रेलियाई मानवाधिकार आयोग एक स्वतंत्र वैधानिक संगठन है, जिसका गठन फेडरल पार्लियामेंट के अधिनियम द्वारा किया गया है। 




शिवरामन मौरिस ब्लैकबर्न में एक प्रमुख वकील हैं, जहां वह कंपनी के क्वींसलैंड रोजगार कानून विभाग की जिम्मेदारी संभालते हैं। शिवरामन राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नस्लीय भेदभाव के कई मामलों की अगुआई कर चुके हैं। उन्होंने कम वेतन वाले श्रमिकों के लिए निशुल्क मुआवजा योजना भी चलाई है। इसका लाभ कई प्रवासियों को मिला है। 

अपनी नियुक्ति पर शिवरामन ने ट्वीट करके कहा कि मैं कॉमनवेल्थ रेस डिस्क्रिमिनेशन कमिश्नर नियुक्त किए जाने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं थोड़ा उत्साहित हूं और थोड़ा डरा हुआ भी हूं। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मानवाधिकार आयोग के साथ मिलकर करने के लिए बहुत कुछ है और मैं काम शुरू करने के लिए और इंतजार नहीं कर सकता। 

मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एमेरिटस प्रोफेसर रोजालिंड क्राउचर एएम ने एक बयान में कहा कि दशकों से सिस्टम में समानता की लड़ाई लड़ना और सत्ता से सच बोलना शिवरामन के कार्यक्षेत्र के केंद्र में रहा है। अपने प्रतिष्ठित कानूनी करियर के दौरान उन्होंने उन्हें कार्यस्थल पर महत्वपूर्ण मामलों का नेतृत्व किया है। उन्होंने नस्लीय भेदभाव के शिकार लोगों की आवाज उठाई है, जिससे उन लोगों के जीवन में सुधार आया है।

शिवरामन क्वींसलैंड बहुसांस्कृतिक सलाहकार परिषद के सदस्य भी रहे हैं, जहां वह नस्लीय भेदभाव के शिकार लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी सुधार की मांग करते हुए संसदीय जांच में भी शामिल हुए थे। मल्टीकल्चरल ऑस्ट्रेलिया में शिवरामन क्वींसलैंड में आने वाले नए लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते आए हैं। वह फर्स्ट नेशन्स के लोगों के अधिकारों के संरक्षण के लिए भी प्रतिबद्ध रहे हैं।

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