गाजा में मुसीबतों का पहाड़ 7 अक्तूबर को टूटा था। आतंकी संगठन हमास ने इजराइल पर हमला बोला जिसमें कोई 1400 लोग मारे गये और करीब 300 बंधक बना लिए गये। जवाब में इजराइल-हमास के टकराव को अब यह पांचवां महीना है और गाजा में राहत के कोई आसार नहीं दिख रहे। हमास के हमले पर यहूदी राज्य की प्रतिक्रिया अपेक्षित थी मगर जिस अनुपात में यह सब हो रहा है उससे पूरी दुनिया हैरान है। हैरान होने वालों में इजराइल के कुछ मित्र देश भी हैं।
बेंजामिन नेतन्याहू सरकार पहले दिन से कह रही है कि हमास के खिलाफ सैन्य हमले जारी रहेंगे और तब तक होते रहेंगे जब तक कि आतंकी संगठन का सफाया नहीं हो जाता। जमीन की छोटी सी पट्टी गाजा में जो कुछ हो रहा है वैसा विनाश निकट भविष्य में तो याद नहीं आता। गाजा के भौतिक विनाश को छोड़ भी दें तो इजराइल के हमलों में अब तक लगभग 30,000 लोग मारे गए हैं। और माना जाता है कि सैकड़ों अभी मलबे में दबे हैं।
भोजन, पानी, बिजली और अस्पताल जैसी बुनियादी जरूरतों और सुविधाओं से वंचित इस दुख का खामियाजा सबसे ज्यादा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। इनमें से कई महिलाएं उम्मीद से हैं और कइयों के बच्चे जन्मे ही हैं या छोटे हैं। इस पूरे प्रकरण में उन बच्चों की स्थिति किसी के भी दिल को तार-तार कर सकती है क्योंकि वे सदियों तक उस चीज का दंश झेलेंगे जिससे उनका दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं था। यही बात फिलिस्तीन के उन लोगों के बारे में कही जा सकती है जिनका हमास से कोई नाता नहीं है मगर वे इजराइल के कहर का केवल इसलिए शिकार हो रहे हैं क्योंकि वे वहां हैं और दुर्भाग्य से हमास के पाले में मान लिए गये हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि गाजा को मानचित्र से पूरी तरह से हटाया जा सकता है लेकिन हमास को मिटाया नहीं जा सकता। भले ही कितनी भी सुरंगों को समुद्र के पानी में बहा दिया जाए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि 7 अक्टूबर को जो कुछ हुआ गलत था। युद्धविराम की बातों के बीच इजराइल ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि शेष बंधकों में से लगभग 50 की मौत हो सकती है। यानी जल्द ही दोषारोपण का खेल फिर शुरू होगा।
इस मामले में दक्षिण अफ़्रीका ने इजराइल को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में घसीटा है मगर उससे पहले ही विश्व मंचों पर चर्चा होने लगी थी कि क्या नेतन्याहू सरकार की हरकतें युद्ध अपराधों के अंतर्गत आ सकती हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने स्पष्ट रूप से अभी तक युद्धविराम का आह्वान नहीं किया है लेकिन एक नरसंहार के प्रति इजराइल का चेताया अवश्य। इधर अमेरिका इस खूनी खेल को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए कूटनीति मोड में है। लेकिन वाशिंगटन को यह समझना होगा कि अधिकांश देश दो राज्य समाधान के बारे में बात कर रहे हैं मगर इजराइल से उठ रही आवाजों में वह संभव नहीं दिख रहा। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर आज डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस में होते तो चीजें अलग होतीं।
इन हालात के बीच इजराइज में इस तरह की बातें भी होने लगीं हैं कि नेतान्याहू इसलिए नहीं झुक सकते क्योंकि उन्हे डर है कि चुनाव होने पर कहीं जनता उन्हे सत्ता से बाहर का रास्ता न दिखा दे जो हमास के हमले से क्रोधित और शायद खुद को अपमानित महसूस कर रही है। इसमें संदेह नहीं कि जो इजराइल के साथ हुआ वह गलत था लेकिन दो गलतियां मिलकर एक सही नहीं बनातीं। समय है कि कुछ 'पवित्र' और समझदार आवाजों को सुना जाए।
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