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एरिजोना यूनिवर्सिटी की छात्रा गरिमा जैन को मिलीं दो ग्रांट, इस विषय पर करेंगी शोध

गरिमा जैन को यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन डॉक्टरेट डिजर्टेशन रिसर्च इम्प्रूवमेंट ग्रांट और होरोविट्ज़ फाउंडेशन फॉर सोशल पॉलिसी ग्रांट प्रदान की गई है। 

गरिमा जैन एरिजोना यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ जियोग्राफिकल साइंसेज एंड अर्बन प्लानिंग से  पीएचडी कर रही हैं। / Image - ASU

एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में पीएचडी की छात्रा गरिमा जैन को दो महत्वपूर्ण अनुदान प्रदान करने का ऐलान किया गया है। जैन को यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन डॉक्टरेट डिजर्टेशन रिसर्च इम्प्रूवमेंट ग्रांट और होरोविट्ज़ फाउंडेशन फॉर सोशल पॉलिसी ग्रांट प्रदान की गई है। 

गरिमा जैन एरिजोना यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ जियोग्राफिकल साइंसेज एंड अर्बन प्लानिंग से  पीएचडी कर रही हैं। उन्हें ये ग्रांट डिजास्टर रिसिलिएंस और सस्टेनेबल एक्वाकल्चर प्रैक्टिस पर रिसर्च के लिए दी जा रही है। 

गरिमा ने इस ग्रांट के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि मेरे फील्डवर्क का सपोर्ट करने के लिए नेशनल साइंस फाउंडेशन और होरोविट्ज़ फाउंडेशन की बहुत आभारी हूं। मैं जो प्राइमरी डेटा एकत्र कर रही हूं, वह इससे पहले किसी ने भी नहीं जुटाया है। मेरा शोध पूरा होने के बाद अन्य लोग अपने नए शोध और आइडियाज के लिए इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। 

गरिमा जैन के शोध का उद्देश्य जलीय आधारित कृषि को प्रभावित करने वाले सामाजिक एवं पर्यावरणीय कारकों से जुड़े आंकड़े जुटाना और तटीय इलाकों के सतत विकास की रणनीति विकसित करना है। उनके शोध से इस क्षेत्र से जुड़े लोगों और नीति निर्माताओं को काफी मदद मिलने की उम्मीद है। उनके शोध के नतीजों को विश्व स्तर पर लागू करके नई नीतियां तैयार की जा सकेंगी।

जैन ने कहा कि उनका शोध व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर केंद्रित होगा। वह मिट्टी की लवणता और जनसंख्या वृद्धि जैसी चुनौतियों के समाधान के लिए विभिन्न कार्यशालाओं और स्थानीय समुदायों व अधिकारियों की मदद लेने की रूपरेखा बना रही है। उन्होंने कहा कि ये समुदाय अपने क्षेत्रों को मुझसे बेहतर जानते हैं। इन कार्यशालाओं के माध्यम से वे खुद टिकाऊ समाधान तैयार करने में मदद कर सकते हैं।

गरिमा जैन का कहना है कि वह अपने शोध के निष्कर्षों को ओपन एक्सेस पत्रिकाओं में भी प्रकाशित करेंगी ताकि कोई भी उनका लाभ उठा सके। वह अपने शोध को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए एक लघु फिल्म और ग्राफिक एंथोलॉजी बनाने पर भी विचार कर रही हैं।
 

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