पिछले दिनों अमेरिका में भारतीय हिंदुओं के सामाजिक-सांस्कृतिक पर्व गणगौर की धूम रही। अमेरिका के फिलाडेल्फिया में भारतीय हिंदू मंदिर में खुशी के साथ यह पारंपरिक पर्व मनाया गया। पिछले सप्ताह 6 अप्रैल को होने वाले उत्सव से जुड़े रीति-रिवाजों में महिलाओं के साथ पुरुषों और बच्चों की भी बड़ी संख्या में भागीदारी रही।
गणगौर एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से उत्तरी और पश्चिमी भारत, विशेषकर राजस्थान में महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में चैत्र गौरी व्रत और तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में सौभाग्य गौरी व्रत के रूप में गणगौर जाना जाता है। गणगौर वसंत, फसल और वैवाहिक आनंद के आगमन का प्रतीक है। भारतीय समाज में यह जीवंत त्योहार गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है। खासकर राजस्थानी महिलाओं के लिए जो वैवाहिक सद्भाव और समृद्धि के प्रतीक ईसरजी (भगवान शिव) और मां गौरी (माता पार्वती) की भक्तिपूर्वक पूजा करती हैं।
बीते 15 से अधिक वर्षों से भारतीय हिंदू मंदिर में यह त्योहार नंद और शशि तोदी, डॉ. रवि और कुसुम मुरारका, उमेश और वंदना तांबी और पंकज तथा श्वेता अजमेरा जैसे समर्पित समुदाय के सदस्यों के सहयोग से मनाया जा रहा है। इस वर्ष के उत्सव में तरंग सोनी (अध्यक्ष ROAR, न्यू जर्सी), मुकेश मोदी (हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्म निर्माता, लेखक और निर्देशक, न्यूयॉर्क), जीन सोर्ग (एम्बलर टाउनशिप की मेयर), तान्या बामफोर्ड (मोंटोगोमेरी टाउनशिप पर्यवेक्षक), शरद अग्रवाल (आईबीए के सचिव) SEVA यूएसए के स्वयंसेवक और स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी रही। दुर्भाग्य से प्रेम भंडारी (अध्यक्ष RANA, न्यूयॉर्क) व्यक्तिगत कारणों से समारोह में शामिल नहीं हो सके।
गणगौर का त्योहार वसंत, फसल और वैवाहिक आनंद के आगमन का प्रतीक है। / Image : NIAपर्यावरण-चेतना पर जोर देते हुए और स्थानीय शिल्प कौशल का समर्थन करते हुए जोधपुर के कारीगर प्रह्लाद कुमावत द्वारा तैयार की गई गौर और ईसर जी की अलंकृत लकड़ी की मूर्तियों को मंदिर में प्रदर्शित किया गया था। उत्सव के दौरान विशाल मूर्तियां राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन कर रही थीं। उत्सव के दौरान और पर्व की परंपराओं के मुताबिक एक यात्रा निकाली गई जिसमें महिलाओं के साथ पुरुषों और बच्चों ने भी उत्साह के साथ भाग लिया। बच्चों ने कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।
इस वर्ष का गणगौर राज्य के गठन के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में राजस्थान दिवस के उत्सव के साथ मेल खाता है। इस लिहाज से बच्चों ने राजस्थान के इतिहास, खान-पान, स्थलों और नायकों पर गहन शोध प्रस्तुत किया जिससे विरासत के बारे में समुदाय की समझ समृद्ध हुई।
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