बेंगलुरु से करीब तीस मील दूर बेंगलुरु-मैसूर हाइवे पर बोर्ड लगा है- सुला डोमाइन (Sula Domaine) वाइन टूर। यह बोर्ड यात्रियों को चार एकड़ की वाइन कंट्री की तरफ ले जाता है। चावल, मक्का, आम और नारियल के बागानों के बीच बना सुला डोमाइन का वाइनयार्ड। वाइन कैसे बनाई जाती है, ये देखने और उसका स्वाद चखने के लिए बहुत से लोग यहां आते हैं।
सुला वाइनयार्ड्स एक भारतीय वाइन कंपनी है जो अमेरिका, कनाडा, यूरोप और एशिया में अपनी वाइन एक्सपोर्ट करती है। इस कंपनी की स्थापना राजीव सामंत ने 1990 के दशक के अंत में की थी। राजीव स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़े हैं और कैलिफोर्निया में ओरेकल में काम कर चुके हैं।
वाइन कैसे बनाई जाती है, यह सीखने के लिए राजीव ने कैलिफोर्निया में एक छोटी सी वाइनरी में तीन महीने बिताए थे। यह वाइनरी केरी डैमस्की की थी। डैमस्की ने सोमेलियर इंडिया को बताया था कि राजीव और मैं 1997 में कैलिफोर्निया के ग्लेन एलेन की सोनोमा वैली में मिले थे। पहली ही मुलाकात में हमने नासिक में प्रीमियम वाइन के लिए अंगूर के बाग तैयार करने पर बात की। डैमस्की ने सामंत को कैलिफोर्निया की मेंडोकिनो काउंटी में अपनी वाइनरी में काम पर पर रख लिया जहां उन्होंने चीफ वाइनमेकर और पार्टनर के तौर पर काम किया। राजीव खुद यह सीखना चाहते थे कि वाइन बनाई कैसे जाती है।
डैमस्की और राजीव सामंत अमेरिका में अक्सर एशियाई और भारतीय रेस्तरां में जाते थे और यह अलग-अलग तरह की वाइन ऑर्डर करते थे। यह देखने के लिए कि कौन सी वाइन भारतीय व्यंजनों के साथ सबसे अच्छी लगती है। हम दोनों को लगता था कि फ्रूट फॉरवर्ड व्हाइट वाइन और रोज़ वाइन इसके लिए सबसे सही थी।
डैमस्की ने बताया कि वाइन पसंद आने पर हमने इस पर काम करना शुरू कर दिया। इसका नतीजा सुला वाइन के रूप में सामने आया। भारत की वाइन इंडस्ट्री की अग्रणी कंपनी सुला अब वाइन को एक सुलभ पेय बनाने में जुटी है। भारत में अंगूर के दो सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक हैं। सुला की इन दोनों राज्यों में वाइन मेकिंग इंडस्ट्री हैं।
सुला वाइन बनाने के अलावा लोगों को इसके स्वाद से परिचित कराने के लिए अच्छा प्रयास करती है। महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों राज्यों में वह लोगों को वाइन टूर कराती है। डैमस्की कहते हैं कि 70 और 80 के दशक में कैलिफोर्निया में रॉबर्ट मोंडावी ने यही तरीका अपनाया था। हम भी उसी तरह काम कर रहे हैं। हमारा मार्केटिंग आइडिया ये है कि वाइन एक नेचुरल बेवरेज है जिसे दोस्तों के बीच खाने के साथ एंजॉय कर सकते हैं।
हम जब वाइन टूर करने पहुंचे तो अनुज ने हमें वाइनरी और प्रोडक्शन फैसिलिटी से रूबरू कराया। अनुज बरगंडी से ग्रेजुएट हैं। उन्होंने आसान शब्दों में बताया कि स्पार्कलिंग वाइन और शैंपेन में क्या फर्क होता है, रोज वाइन में पिंक कलर कैसे आता है, रेड वाइन लाल क्यों होती है, आदि इत्यादि। अनुज ने बताया कि वाइन सिर्फ अंगूर से बनाई जाती है। अगर कोई सेब या स्ट्रॉबेरी से बनी वाइन आपको बेचता है तो मान लीजिए कि वह असली वाइन नहीं होगी।
टूर के दौरान हमने स्पार्कलिंग, रोज़, चारडोनाय, कैबरनेट, मोसेटो सभी तरह की वाइन का जायका लिया। अनुज ने हमें बताया कि वाइन को स्विर्ल किस तरह किया जाता है। कई लोगों ने इस दौरान पहली बार वाइन चखी। अनुज ने डिंडोरी शिराज की तरफ इशारा करते हुए बताया कि यह हमारी सबसे ज़्यादा बिकने वाली वाइन है।
डैमस्की बताते हैं कि हम 2002 में पहली बार इंडिया मेड बैरल एज्ड रेड वाइन बनाने के लिए अमेरिकी ओक बैरल लाए थे। डैमस्की पिछले 25 वर्षों से साल में तीन बार भारत आते हैं और वाइनमेकिंग, ब्लेंडिंग और वाइनयार्ड के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने पर काम करते हैं। वह सुला के मास्टर वाइनमेकर हैं।
सुला डोमाइन को उम्मीद है कि वह एक दिन भारत का प्रमुख वाइन टूरिज्म डेस्टिनेशन बनेगा। यहां पर एक रेस्तरां हैं, गिफ्ट शॉप है और एक टेस्टिंग रूम भी है। यहां आने वाले दर्शक खुद भी वाइन मेकिंग प्रोसेस में हिस्सा ले सकते हैं। यह फैसिलिटी हर दिन सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक खुलती है। यहां वीकेंड पर 600 भारतीय रुपये और अन्य दिनों में 400 रुपये देकर कोई भी वाइन मेकिंग का तरीका देख सकता और उसका स्वाद ले सकता है। आने वाले समय में सुला की योजना वाइनयार्ड के नजदीक ट्री हाउस बनाने की है ताकि लोग यहां रहने का लुत्फ भी उठा सकें।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login