विश्व के सबस पुराने लोकतंत्र और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में यह वर्ष लोकतांत्रिक उत्सवों के आयोजन को लेकर भी याद रखा जाने वाला है। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव की सरगर्मी है और भारत कुछ माह पहले एक बड़े चुनावी उत्सव को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के बाद एक बार फिर क्षेत्रीय निर्वाचन प्रक्रिया में है। देश की सरकार चुनने के लिए पांच वर्ष में एक बार होने वाला लोकसभा चुनाव सफलता के साथ ही शांतिपूर्व संपन्न हुआ जिसकी अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने तारीफ की। संयुक्त रूप से देखें तो अमेरिका और भारत में इस साल के आखिर तक चुनाव के रंग दिखते रहेंगे। इसलिए क्योंकि अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान है और भारत में तो लगभग वर्ष भर ही किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। अभी जम्म-कश्मीर और हरियाणा राज्य में मतदान प्रक्रिया चल रही है। अगले महीने इस चुनाव के नतीजे आएंगे। इसके बाद हो सकता है कि साल की विदाई से पहले किसी अन्य भारतीय राज्य में चुनाव की घोषणा हो जाए। लिहाजा, चुनावी चौसर का यहां से वहां तक बिछी हुई है।
अमेरिका के चुनाव में इस बार कुछ अलग रंग दिख रहे हैं। चुनाव इतिहास लिख सकता है। पहली बार भारतीय मूल की महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार है। नाटकीय घटनाक्रम से आगे आईं कमला हैरिस ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की हवाएं बदल डाली हैं। वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व में शीर्ष पद का चुनाव लड़ रही जो डेमोक्रेटिक पार्टी ढाई-तीन महीने पहले पिछड़ी हुई दिख रही थी कमला हैरिस के दौड़ में आ जाने के बाद न केवल मुकाबले में आ गई बल्कि कई इलाकों में रिपब्लिकन से आगे बताई जा रही है। हाल में आये कुछ सर्वे दावा कर रहे हैं कि हैरिस के आने के बाद पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है, ट्रम्प के कई गढ़ों में भी सेंध लग गई है। खबरों और सर्वे में कई जगह मुकाबला कांटे का है तो कई जगह हैरिस का ग्राफ चढ़ रहा है। ऐसे में अगर हैरिस ने ट्रम्प को शिकस्त दे दी तो अमेरिका में सबसे बड़ा इतिहास किसी महिला और भारतीय मूल की महिला के राष्ट्रपति बनने का होगा। रिकॉर्ड और इतिहास और भी दर्ज होंगे लेकिन वे इसके बाद ही रहेंगे। अब महिला राष्ट्रपति बनने का इतिहास बनता है या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है।
उधर भारत में अप्रैल से लेकर जून तक चली लोकसभा चुनाव की सात चरण वाली प्रक्रिया ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। अमेरिका से लेकर पश्चिमी जगत के कई मुल्कों ने इसकी तारीफ की। भारतीय चुनाव आयोग की प्रशंसा की। और अब जम्मू कश्मीर में चल रहे चुनाव से भी कई देश प्रभावित हैं। कभी आतंक से सहमे इस राज्य में चुनाव कराना एक टेढ़ी खीर था। लोगों के दिलों से दहशत दूर करना भी चुनौती था। किंतु आज स्थित बदली हुई है। लोकसभा चुनाव में इस राज्य के लोगों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उत्साह से हिस्सा लिया और बगैर किसी हिंसा के चुनाव संपन्न हुआ। अब राज्य की सरकार चुनने के लिए हो रहे चुनाव में भारत के इस उत्तरी हिस्से में लोकतांत्रिक मजबूती साफ दिख रही है। इसी मजबूती का जायजा लेने के लिए कुछ दिन पहले पहली बार विदेशी राजनयिकों के दल ने जम्मू-कश्मीर की यात्रा की। अमेरिका, नॉर्वे और सिंगापुर सहित 15 देशों के राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर के बडगाम और श्रीनगर जिले में विधानसभा चुनावों का निरीक्षण किया। प्रतिनिधियों ने मतदान केंद्रों पर चुनाव प्रक्रिया को देखकर इसे अदभुत, स्वस्थ और लोकतांत्रिक बताया। यह सुखद है कि 'मित्र देशों' में लोकतंत्र की राहें जन-भागीदारी के साथ मजबूत हो रही हैं।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login