1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 के बम विस्फोट की एक नई जांच की मांग करने वाली एक याचिका ने कनाडा में विवाद को फिर से जन्म दे दिया है। इस आतंकी हमले में 329 लोग मारे गए थे।ब्रिटिश कोलंबिया के एक लिबरल सांसद सुख धालीवाल के नेतृत्व में कई सिख संगठनों ने कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स को याचिका सौंपी है। इसमें इस सबसे घातक विमान दुर्घटनाओं में से एक की नई जांच की मांग की गई है।
याचिका में विदेशी खुफिया एजेंसियों पर बम विस्फोट के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया है कि इसका मकसद कनाडा और भारत में सिख राजनीतिक सक्रियता को बदनाम करना था। याचिका की प्रतियां पूरे देश के गुरुद्वारों और सार्वजनिक स्थानों पर वितरित की गई हैं। इसमें लोगों से नई जांच के समर्थन में हस्ताक्षर करने का आग्रह किया गया है।
याचिका में लिखा है, '23 जून, 1985 को एयर इंडिया बम विस्फोट जिसमें 331 लोग मारे गए थे। यह 9/11 से पहले विमानन आतंक के इतिहास में सबसे भयावह त्रासदी थी। कनाडा में सिखों का व्यापक रूप से मानना है कि यह भारत में उनके राजनीतिक सक्रियता और मानवाधिकारों की वकालत को बदनाम करने के लिए विदेशी खुफिया एजेंसी का काम था।'
याचिका में कनाडा के सिख समुदाय के बीच हालिया तनावों का भी उल्लेख किया गया है। खासकर जून 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद, जिसमें इस घटना को भारत के विदेशी हस्तक्षेप से जोड़ा गया था।
हालांकि, सभी सांसद इस याचिका के दावों से सहमत नहीं हैं। ओंटारियो के लिबरल सांसद चंद्रा आर्य ने हाउस ऑफ कॉमन्स में याचिका के खिलाफ एक मजबूत रुख अपनाया है। उन्होंने कहा, 'अब संसद पोर्टल पर एक याचिका है जिसमें एक नई जांच की मांग की जा रही है। खालिस्तान चरमपंथियों द्वारा प्रचारित साजिश सिद्धांतों को बढ़ावा दिया जा रहा है।'
आर्या ने जोर देकर कहा कि कनाडा की दो सार्वजनिक जांचों ने पहले ही निष्कर्ष निकाला है कि खालिस्तानी चरमपंथी बम विस्फोट के लिए जिम्मेदार थे। उन्होंने कहा, 'मिस्टर स्पीकर, 39 साल पहले एयर इंडिया फ्लाइट 182 को कनाडाई खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा लगाए गए बम से हवा में उड़ा दिया गया था। इसमें 329 लोग मारे गए। यह कनाडा के इतिहास में सबसे बड़ा सामूहिक हत्याकांड है।'
बाल गुप्ता की पत्नी इस आतंकी हमले की पीड़ितों में शामिल थीं। उन्होंने जांच के लिए नए आह्वानों पर निराशा व्यक्त की। द ग्लोब एंड मेल को दिए एक इंटरव्यू में गुप्ता ने कहा, 'यह बहुत निराशाजनक है। यह फिर से पुराने घावों को कुरेदने जैसा है। यह सब बकवास है। यह आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रचार और समर्थन हासिल करने का प्रयास है।'
याचिका के संबंध में कनाडा सरकार या हाउस ऑफ कॉमन्स की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन इस तरह की कोशिश देश के भीतर भावनाओं और बहस को भड़काता रहता है।
कनिष्क विमान हादसा 23 जून 1985 को हुआ था। एयर इंडिया के विमान ने मॉन्ट्रियल से उड़ान भरी और लंदन हीथ्रो हवाई अड्डे पर रुकने के बाद, यह दिल्ली के लिए रवाना हुई। 31,000 फीट की ऊंचाई पर एक बम विस्फोट हुआ। विस्फोट इतना भयानक था कि विमान के हवा में ही परखच्चे उड़े गए और सभी यात्रियों की मौत हो गई थी।
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